सूत्रों के अनुसार, संदीप कुमार उस जांच टीम का हिस्सा थे, जो आईपीएस वाई पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार से जुड़े मामले की जांच कर रही थी। फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच जारी है। सुसाइड नोट और वीडियो को फॉरेंसिक टीम ने कब्जे में ले लिया है।
सुसाइड नोट में संदीप कुमार ने लिखा कि वे जींद जिले के जुलाना गांव से हैं। उन्होंने अपने परिवार और देशभक्ति की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि उनके दादाजी और छोटे दादाजी सेना में देश के लिए लड़े। उन्होंने भगत सिंह को अपना आदर्श बताया और लिखा कि देशभक्ति उनके खून में रची-बसी है। एएसआई ने अपने सुसाइड नोट में कहा कि समाज में आज भ्रष्टाचार और जातिवाद एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। उन्होंने लिखा कि हरियाणा में IAS अधिकारियों और व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है, लेकिन BJP सरकार में कुछ ईमानदार अफसर थे जिन्होंने काफी हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया।
संदीप कुमार ने बताया कि उनका मन हमेशा सत्य के साथ था और रहेगा। उन्होंने लिखा कि उन्होंने अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने में प्रयास किए और कई अफसरों का सहयोग और मार्गदर्शन मिला। लेकिन जब आईजी वाई पूरन कुमार का तबादला रोहतक रेंज में हुआ, उन्होंने भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी और ईमानदार कर्मठ अधिकारियों का तबादला कर दिया। एएसआई ने आरोप लगाया कि आईजी ने जातिवाद का जहर अपने मुलाजिमों में घोला और फाइलों के नाम पर अफसरों को डराकर पैसे ऐंठे।
संदीप कुमार ने लिखा कि महिला पुलिस कर्मियों को ट्रांसफर के नाम पर परेशान किया गया और सामान्य नागरिकों और व्यापारियों को फिजिकल व मेंटली टॉर्चर किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि गनमैन सुशील कुमार ने व्यापारी से पैसे ऐंठे और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। एएसआई ने कहा कि आईजी वाई पूरन कुमार ने जातिगत आयोग का सहारा लेकर राजनीतिकरण किया और झूठा सुसाइड नोट तैयार किया।
संदीप कुमार ने अपने नोट में कहा कि यह लड़ाई सच्चाई और ईमानदारी की है। उन्होंने लिखा कि आईएएस पत्नी भ्रष्टाचार छिपा रही है और संपत्ति की जांच से बचने के लिए ढोंग कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके जैसे कई लोग देश और समाज के लिए कुर्बान होंगे, लेकिन सच्चाई और ईमानदारी की जीत होगी। एएसआई ने यह भी लिखा कि उनके परिवार और देशभक्ति की भावना उन्हें प्रेरित करती रही और उन्होंने अपनी पहली आहूति दे दी है।
पुलिस और फॉरेंसिक टीम मामले की जांच में जुटी हुई है। सुसाइड नोट में लगाए गए गंभीर आरोपों को देखते हुए उच्च अधिकारियों ने भी मामले की समीक्षा शुरू कर दी है। संदीप कुमार का यह कदम भ्रष्टाचार और जातिवाद के खिलाफ चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। इस मामले से हरियाणा पुलिस और प्रशासन में एक बार फिर ईमानदार अफसरों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता सामने आई है।
संदीप कुमार का सुसाइड नोट और वीडियो संदेश न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाता है बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप को उजागर करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सत्य को सामने लाना और भ्रष्टाचार से लड़ना था। उनके अनुसार यह लड़ाई केवल उनकी नहीं बल्कि पूरे समाज और देश की सच्चाई की लड़ाई है। उनके शब्द आज भी ईमानदार अफसरों और समाज के लिए चेतावनी और प्रेरणा का संदेश हैं।
संदीप कुमार ने अपने जीवन का अंतिम बलिदान सत्य और न्याय के लिए दिया, जिससे यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार और जातिवाद के खिलाफ लड़ाई कभी खत्म नहीं होगी और ईमानदार लोग हमेशा आगे बढ़ते रहेंगे।