दक्षिण कश्मीर कोकरनाग में हिमस्खलन के दौरान दो सैनिक लापता, सेना का बचाव अभियान जारी
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कोकरनाग में हिमस्खलन से दो सैनिक लापता.
सेना का हेलीकॉप्टर और ड्रोन से बचाव अभियान जारी.
संवेदनशील गडूल क्षेत्र में बढ़ी आतंकी गतिविधियां.
South Kashmir / दक्षिण कश्मीर के गडूल कोकरनाग क्षेत्र में एक बार फिर से बर्फीली त्रासदी ने सेना के अभियान को चुनौती दे दी है। आतंकरोधी अभियान के दौरान बुधवार तड़के हुए हिमस्खलन में भारतीय सेना के दो सैनिक लापता हो गए। लापता जवानों में एक पैरा कमांडो और एक अग्निवीर शामिल हैं। घटना के तुरंत बाद सेना ने हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद से व्यापक रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों से इस इलाके में आतंकी गतिविधियों में तेजी आई थी। आतंकी संगठन इस क्षेत्र को दक्षिण कश्मीर से जम्मू के डोडा-किश्तवाड़ इलाकों तक जाने वाले ट्रांजिट रूट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसी वजह से सुरक्षा बलों ने यहां आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर संयुक्त तलाशी अभियान चलाया था। अभियान में लगभग 20 जवानों की विशेष टुकड़ी शामिल थी जो आगे बढ़ते हुए अहलन गडूल के ऊँचे और दुर्गम इलाके में पहुँची थी। इसी दौरान अचानक बर्फ का बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिरा और जवान हिमस्खलन की चपेट में आ गए। दो जवानों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है जबकि अन्य सैनिक सुरक्षित स्थान पर लौट आए।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि तलाशी अभियान अत्यंत कठिन परिस्थितियों में चलाया जा रहा है। इलाके में लगातार बर्फबारी हो रही है और तापमान शून्य से काफी नीचे है। सेना के विशेष बचाव दलों को अत्याधुनिक उपकरणों और सेंसर डिवाइस के साथ तैनात किया गया है, जो बर्फ के नीचे दबे किसी व्यक्ति, जानवर या विस्फोटक का पता लगाने में सक्षम हैं। इसके साथ ही हेलीकॉप्टरों और ड्रोन कैमरों की सहायता से हवा से निगरानी और तलाशी जारी है।
स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों की भी मदद ली जा रही है। सेना ने अहलन गडूल के पूरे इलाके को घेर लिया है और चारों ओर सुरक्षा नाके स्थापित किए हैं ताकि किसी भी दिशा से आतंकियों की घुसपैठ या अन्य जोखिम को रोका जा सके। फिर भी लापता जवानों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
उल्लेखनीय है कि यह इलाका पहले भी आतंकी घटनाओं का गवाह रहा है। वर्ष 2023 में इसी क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में डीएसपी हुमायूं भट और सेना के दो अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं अगस्त 2024 में भी यहां आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान एक नागरिक की मौत हुई थी और दो सैनिक शहीद हुए थे। अब फिर से इस इलाके में हिमस्खलन ने एक बार फिर सेना के साहस और सेवा भावना की परीक्षा ले ली है।
सेना ने कहा है कि लापता सैनिकों की खोज जारी है और कोई भी संभावना छोड़ी नहीं जाएगी। कठिन मौसम, ऊँचाई और दुर्गम भौगोलिक स्थिति के बावजूद जवानों के मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया है कि चाहे चुनौती कितनी भी कठोर क्यों न हो, सीमा और देश की रक्षा के लिए वे सदैव तत्पर हैं।