दिल्ली एनसीआर में खतरनाक प्रदूषण स्तर: AQI 400 पार, स्मॉग से बिगड़ी सेहत
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Delhi NCR pollution level
दिल्ली-एनसीआर का AQI कई क्षेत्रों में 400 के पार.
स्मॉग से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ीं, हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में.
निर्माण धूल, ट्रैफिक और पराली प्रदूषण के मुख्य कारण.
Delhi / दिल्ली-एनसीआर की हवा इन दिनों सचमुच लोगों के लिए खतरा बन गई है। सुबह घर से बाहर निकलते ही आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत महसूस होना अब आम बात हो चुकी है। लाख कोशिशों और भारी-भरकम योजनाओं के बावजूद हवा की गुणवत्ता में कोई ठोस सुधार नजर नहीं आ रहा। सोमवार की सुबह भी दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम पर स्मॉग की मोटी परत छाई रही, जिसने पूरे क्षेत्र को धुंधले धुएँ की चादर में ढक दिया। लोगों को हर सांस के साथ यह अहसास हो रहा है कि हवा में कुछ ऐसा घुल गया है, जो उनकी सेहत को सीधे प्रभावित कर रहा है।
ग्रैप-3 की पाबंदियाँ लागू होने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि शायद स्थिति में थोड़ी राहत मिलेगी, लेकिन इससे भी कोई बड़ा फर्क दिखाई नहीं देता। सोमवार को कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी मानी जाती है। औसत AQI 360 दर्ज किया गया, जो साफ तौर पर बताता है कि दिल्ली की हवा लगातार ज़हरीली होती जा रही है। बवाना में सुबह 6 बजे AQI 427 पहुंच गया—जो किसी भी शहर के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है। इसके अलावा दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण स्तर 400 से ऊपर रहा—जैसे डीटीयू (403), जहांगीरपुरी (407), नरेला (406), रोहिणी (404) और वजीरपुर (401)। जिन जगहों पर स्तर 400 के नीचे था, वहाँ भी हालात अच्छे नहीं थे—मुंडका (396), नेहरू नगर (389), सोनिया विहार (380), जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (386) और द्वारका (381)। ऐसे में लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है।
सर्दियों की शुरुआत हमेशा से दिल्ली-एनसीआर के लिए चुनौती भरी रही है। तापमान कम होने के साथ हवा भारी हो जाती है, जिससे प्रदूषक जमीन के पास ही जमा होने लगते हैं। पिछले कई वर्षों से यही पैटर्न दोहराया जा रहा है—हवा ठंडी होती है, धूल और धुआँ जमीन पर बैठ जाता है, और थोड़ी-सी धुंध भी घातक स्मॉग में बदल जाती है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि निर्माण कार्य, धूल भरी सड़कों और भारी यातायात सबसे बड़े प्रदूषणकारी कारक हैं। इनके कारण पीएम10 का स्तर लगातार बढ़ रहा है। सरकार हॉटस्पॉट की पहचान में तेजी ला रही है, लेकिन मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि शहर की सफाई व्यवस्था और सड़कों के रखरखाव में अभी भी काफी खामियाँ हैं। यही खामियाँ हवा की गुणवत्ता को और बिगाड़ रही हैं। पराली जलाना भी एक कारण है, हालांकि बुवाई का मौसम शुरू होने पर इसका असर धीरे-धीरे कम होता जाएगा।
दिल्ली में रविवार को भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही और 24 घंटे का औसत AQI 377 दर्ज किया गया। यह इस मौसम का वह दौर है, जब हवा खुद ही सांस भरने लगती है। शहर में प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ ठंड भी तेजी से बढ़ रही है। रविवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.5 डिग्री कम था। यह पिछले तीन वर्षों में नवंबर का सबसे ठंडा दिन था। इससे पहले 2022, 2023 और 2024 में भी इसी समय तापमान में तेज गिरावट देखी गई थी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है कि सोमवार को हल्का कोहरा छाया रहेगा और दिन का अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहेगा। न्यूनतम तापमान 9 डिग्री के आसपास रहने का अनुमान है। तापमान गिरता जाएगा और हवा की रफ्तार धीमी पड़ती जाएगी, इसलिए आने वाले दिनों में प्रदूषण के और बढ़ने की आशंका है।
दिल्लीवासियों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टर साफ तौर पर कह चुके हैं कि इस स्तर की हवा में लंबे समय तक रहना फेफड़ों, दिल और आँखों के लिए खतरनाक है। ऐसे में मास्क पहनना, घर से कम बाहर निकलना, और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना अब मजबूरी बन गया है।
सबसे बड़ा सवाल यही है—आखिर कब दिल्ली की हवा साफ होगी? कब लोग बिना डर के सांस ले पाएंगे? जवाब शायद आसान नहीं है। समस्या कई स्तरों पर है—सरकार, प्रशासन, उद्योग, वाहन और लोग—सब मिलकर ही इस लड़ाई को जीत सकते हैं। अभी के लिए दिल्ली की हवा यही संदेश दे रही है कि जागने का समय बीत चुका है। अब तो कदम उठाने ही होंगे, वरना आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ जहर ही सांसों में मिलेगा।