मोंथा तूफान का असर: बिहार-झारखंड में झमाझम बारिश, धान की फसल पर मंडराया खतरा
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Montha cyclone effect Bihar Jharkhand
मोंथा तूफान से बिहार-झारखंड में झमाझम बारिश.
धान की फसल पर बारिश से नुकसान की आशंका.
मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे तक अलर्ट जारी किया.
Khunti / बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का असर अब बिहार और झारखंड के कई इलाकों में साफ दिखाई देने लगा है। बुधवार की शाम को अचानक मौसम का मिजाज बदल गया। बांका जिले के पंजवारा क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ झमाझम बारिश शुरू हो गई, जो लगभग एक घंटे तक जारी रही। बारिश से तापमान में गिरावट आई और ठंडक घुलने लगी, लेकिन किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें भी दिखने लगीं। इस समय खेतों में कटाई के लिए तैयार धान की फसल खड़ी है, और लगातार बारिश से फसल के गिरने, सड़ने या दानों के काला पड़ने की आशंका जताई जा रही है। किसानों का कहना है कि यदि बारिश का दौर अगले कुछ दिनों तक जारी रहा तो उपज पर सीधा असर पड़ेगा।
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में सक्रिय यह चक्रवाती तूफान अगले 24 घंटे तक बिहार और झारखंड के कई हिस्सों में असर डाल सकता है। इस दौरान मध्यम से तेज बारिश और कहीं-कहीं तेज हवाओं की संभावना है। स्थानीय स्तर पर बांका जिले में कई जगह पेड़ गिरने और बिजली आपूर्ति बाधित होने की सूचना भी मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि अचानक हुए इस मौसम परिवर्तन से दैनिक जीवन भी प्रभावित हुआ है।
इधर झारखंड के खूंटी जिले में भी मोंथा तूफान का आंशिक असर देखा गया। मंगलवार और बुधवार को जिले के कई प्रखंडों में हल्की से मध्यम स्तर तक बारिश दर्ज की गई। खूंटी प्रखंड में लगभग 20 मिलीमीटर और अड़की प्रखंड में करीब 25 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। मुरहू, कर्रा, तोरपा और रनिया प्रखंडों में भी रुक-रुककर बारिश होती रही। बुधवार सुबह तक बूंदाबांदी जारी रही, जिससे मौसम में ठंडक घुल गई और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को खूंटी का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह-शाम चलने वाली हल्की ठंडी हवाओं ने सर्दी की शुरुआत का अहसास करा दिया है।
बारिश के कारण जिले में जनजीवन भी प्रभावित हुआ। सड़कों पर सामान्य दिनों की तुलना में कम चहल-पहल रही। दुकानदारों ने बताया कि दिनभर हल्की फुहारों के चलते ग्राहकों की संख्या घट गई। वहीं, स्कूल जाने वाले बच्चों और दफ्तरों के कर्मचारियों को छाता लेकर निकलना पड़ा।
मोंथा तूफान का किसानों पर मिश्रित प्रभाव देखा जा रहा है। खूंटी जिले में करीब 76 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की गई है। इसके अलावा 6,389 हेक्टेयर में मक्का, 15,796 हेक्टेयर में दलहन, 869 हेक्टेयर में तिलहन और 1,462 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती हुई है। कई खेतों में धान की बालियां पक चुकी हैं। कुछ किसानों ने कटाई पूरी कर ली थी और फसल को खेतों में सुखाने के लिए रखा था, लेकिन बारिश के कारण वह फसल भीग गई। हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश की तीव्रता बहुत अधिक नहीं रही, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना कम है।
कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. रंजन चौधरी के अनुसार, मोंथा तूफान के कारण हुई हल्की बारिश खरीफ फसलों के लिए नुकसानदेह नहीं है, बल्कि यह रबी फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है। खेतों में नमी बढ़ने से गेहूं और आलू की बुवाई में तेजी आएगी। किसानों ने बताया कि यदि मौसम जल्द सामान्य हो जाए तो नुकसान कम होगा। कुल मिलाकर, मोंथा तूफान ने जहां फसलों के लिए चिंता बढ़ाई है, वहीं आने वाली सर्दी की दस्तक के साथ राहत की हल्की ठंडक भी लेकर आया है।