Nobel Prize 2025 Chemistry: सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर याघी को MOFs की खोज के लिए सम्मान

Wed 08-Oct-2025,06:10 PM IST +05:30

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Nobel Prize 2025 Chemistry: सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर याघी को MOFs की खोज के लिए सम्मान Nobel Prize 2025 Chemistry winners
  • 2025 का केमिस्ट्री नोबेल तीन वैज्ञानिकों को मिला. 

  • मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) के विकास के लिए सम्मान.

  • पर्यावरण और ऊर्जा समाधान में नई दिशा मिली.

Delhi / New Delhi :

delhi / 2025 के लिए रसायन विज्ञान (Chemistry) का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों – सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर एम. याघी को प्रदान किया गया है। इन तीनों को यह प्रतिष्ठित सम्मान “मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स” (Metal-Organic Frameworks - MOFs) के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। सुसुमु कितागावा जापान के क्योटो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, रिचर्ड रॉबसन ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं, और उमर एम. याघी अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में प्रोफेसर हैं। इन वैज्ञानिकों की खोज ने मटेरियल साइंस की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाया है, जिससे पर्यावरण, ऊर्जा और जल संकट जैसी समस्याओं के समाधान की दिशा में नए रास्ते खुले हैं।

नोबेल कमेटी के अनुसार, “मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स” ऐसी आणविक (मॉलिक्यूलर) संरचनाएं हैं, जिनमें अत्यधिक खाली स्थान होता है। इन संरचनाओं के भीतर गैस या अन्य रासायनिक पदार्थों को संग्रहित, अलग या नियंत्रित रूप से प्रवाहित किया जा सकता है। यही कारण है कि MOFs को भविष्य की ऊर्जा, पर्यावरण और जल संरक्षण तकनीकों की नींव माना जा रहा है। इन फ्रेमवर्क्स का सबसे बड़ा गुण है – उनकी “पोरोसिटी” यानी झरझरी संरचना, जिसमें कुल आयतन का लगभग 90% हिस्सा खाली होता है। इस कारण वे बड़ी मात्रा में गैसों को अवशोषित (absorb) या संग्रहित (store) कर सकते हैं।

रिचर्ड रॉबसन ने इस इनोवेशन की शुरुआत वर्ष 1989 में की थी, जब उन्होंने तांबे के आयनों और जटिल कार्बनिक अणुओं को जोड़कर एक विशाल क्रिस्टलाइन ढांचा तैयार किया था। हालांकि शुरुआती ढांचे अस्थिर थे, लेकिन इस प्रयोग ने भविष्य के वैज्ञानिकों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए। 1990 के दशक में सुसुमु कितागावा ने इन ढांचों पर प्रयोग करते हुए यह साबित किया कि वे गैसों को सोखने और छोड़ने में सक्षम हैं। यह खोज यह दर्शाती थी कि MOFs लचीले (flexible) और नियंत्रित रूप से प्रतिक्रियाशील (responsive) हो सकते हैं। इसके बाद उमर याघी ने इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया। उन्होंने पहली बार अत्यंत स्थिर (stable) MOFs बनाए, जिन्हें विशेष डिज़ाइन दिया गया ताकि वैज्ञानिक इन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ढाल सकें।

MOFs की उपयोगिता बेहद व्यापक है। इनका इस्तेमाल गैस स्टोरेज, वाटर हार्वेस्टिंग, केमिकल सेपरेशन, पर्यावरण शुद्धिकरण, सेंसर तकनीक और दवाओं की डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है। गैस स्टोरेज के क्षेत्र में MOFs हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसों को बड़ी मात्रा में सुरक्षित रूप से संग्रहित कर सकते हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा के विकास के लिए अत्यंत उपयोगी है। पर्यावरण प्रबंधन में भी इनका प्रयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को कैप्चर कर सकती हैं, जिससे प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिल सकती है।

वाटर हार्वेस्टिंग में MOFs का प्रयोग विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये रेगिस्तानी इलाकों की हवा से नमी खींचकर उसे पानी में परिवर्तित कर सकते हैं, जो जल संकट झेल रहे क्षेत्रों के लिए एक आशा की किरण है। इसके अलावा, MOFs की झरझरी प्रकृति उन्हें प्रदूषण फैलाने वाले रासायनिक तत्वों को अलग करने और उन्हें निष्क्रिय करने में भी सक्षम बनाती है। चिकित्सा क्षेत्र में भी इनका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, विशेषकर नियंत्रित ड्रग डिलीवरी और बायोसेंसर निर्माण में।

नोबेल कमेटी के चेयर हेनर लिंके ने कहा कि “मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स” भविष्य के “कस्टम मेड मटेरियल्स” के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इनकी मदद से ऐसे कार्य किए जा सकते हैं जो अब तक असंभव माने जाते थे। सुसुमु कितागावा, रिचर्ड रॉबसन और उमर याघी के इस योगदान ने न केवल रसायन विज्ञान को नई दिशा दी है, बल्कि यह मानवता की कई गंभीर समस्याओं के समाधान की कुंजी भी बन सकता है। इनकी खोज आने वाले समय में ऊर्जा, पर्यावरण और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्थायी और क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है।