उत्तराखंड में बादल फटना और भारी बारिश: 9 जिलों में स्कूल बंद, 4 मौतें, 50 से अधिक लापता
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उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से तबाही।
9 जिलों में स्कूल बंद, कई नदियां उफान पर।
SDRF, NDRF, सेना राहत और बचाव में सक्रिय।
Uttarkashi / उत्तराखंड में मॉनसून ने एक बार फिर विकराल रूप ले लिया है। मौसम विभाग ने बुधवार, 6 अगस्त 2025 को प्रदेश के कई जिलों के लिए भारी से अति भारी बारिश का रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके चलते देहरादून, नैनीताल, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, चंपावत, पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद रखने का आदेश दिया गया है।
सुबह से हो रही मूसलाधार बारिश ने बागेश्वर, कोटद्वार और पहाड़ी क्षेत्रों में जनजीवन ठप कर दिया है। बागेश्वर में गोमती और सरयू नदियां उफान पर हैं। इस बीच, मंगलवार को उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने से खीर गंगा नदी में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। महज 34 सेकंड में सैकड़ों घर, होटल और होम स्टे मलबे में दब गए या पानी में बह गए। अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से अधिक लोग लापता हैं।
अलकनंदा नदी खतरे के निशान के करीब बह रही है, जबकि केदारनाथ धाम की यात्रा सुरक्षा कारणों से स्थगित कर दी गई है। हर्षिल और सुक्की में भी बादल फटने की घटनाएं हुई हैं, जहां सेना के 11 जवान लापता बताए जा रहे हैं। सेना का एक बेस कैंप भी क्षतिग्रस्त हुआ है।
राहत और बचाव कार्य तेज
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और भारतीय सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हैं। अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। राज्य सरकार ने वायुसेना से दो MI-17 और एक चिनूक हेलीकॉप्टर की मांग की है, जो मौसम साफ होते ही राहत सामग्री पहुंचाएंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर हालात का जायजा लिया और तत्काल राहत कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये मंजूर किए। पुलिस ने 2 आईजी, 3 एसपी और 300 जवानों की विशेष टीमें तैनात की हैं, जो खोजी कुत्तों और ड्रोन की मदद से मलबे में फंसे लोगों को ढूंढ रही हैं।
यातायात और संचार बाधित
भारी बारिश से नेशनल हाईवे-309 धनगढ़ी बरसाती नाले के उफान के कारण बंद हो गया है। गंगोत्री हाईवे पर पापड़गाड़ के पास 30 मीटर सड़क धंस गई, जिससे हर्षिल और धराली का संपर्क कट गया है।
स्वास्थ्य सेवाएं अलर्ट पर
उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है। उत्तरकाशी, टिहरी और देहरादून के जिला अस्पतालों, दून मेडिकल कॉलेज और ऋषिकेश AIIMS में बेड रिजर्व किए गए हैं। डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। ऋषिकेश में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके चलते लोगों को नदी से दूर रहने की चेतावनी दी गई है।
आपदा का कारण और चिंताएं
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, भूमध्य सागर से उठा पश्चिमी विक्षोभ हिमालय से टकराने के कारण यह आपदा आई है। यह स्थिति 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिलाती है।
यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बार-बार होने वाली ऐसी प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए सिर्फ राहत कार्य पर्याप्त हैं, या फिर पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।