बस्तर के 29 नक्सल प्रभावित गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस का जश्न

Fri 15-Aug-2025,04:07 PM IST +05:30

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बस्तर के 29 नक्सल प्रभावित गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस का जश्न Bastar Independence Day celebration
  • बस्तर के 29 गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस समारोह.

  • नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोकतंत्र की ऐतिहासिक वापसी.

  • सुरक्षा बलों और स्थानीय सहयोग से नक्सल मुक्त गांव.

Chhattisgarh / Bastar :

Bastar / छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में इस बार 15 अगस्त का जश्न बेहद खास रहा, क्योंकि यहां के 29 गांवों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। ये वही गांव हैं जहां कभी नक्सलियों का शासन चलता था और लोकतंत्र की कोई मौजूदगी नहीं थी। दशकों तक इन इलाकों में नक्सली काला झंडा फहराते थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सुरक्षा बलों के लगातार प्रयास और स्थानीय लोगों के सहयोग से ये गांव नक्सलमुक्त हो गए हैं। बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों के ये गांव कभी नक्सलवाद के गढ़ माने जाते थे, लेकिन अब यहां तिरंगा लहराने लगा है और लोगों ने आजादी का जश्न पूरे उत्साह के साथ मनाया।

पिछले कुछ वर्षों में डीआरजी फोर्स, पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने इन इलाकों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। नक्सलियों के प्रभाव वाले इन गांवों में सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए, जिससे यहां लोकतंत्र की वापसी संभव हो सकी। खास बात यह है कि कई गांव ऐसे थे जहां आजादी के 79 साल बाद भी लोग स्वतंत्रता दिवस का उत्सव नहीं मना पाए थे। इस वर्ष जब पहली बार तिरंगा फहराया गया तो वहां के निवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके लिए यह पल ऐतिहासिक और भावुक करने वाला था, क्योंकि यह सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि नक्सलवाद से मिली आजादी का प्रतीक था।

इन 29 गांवों में नारायणपुर के 11, बीजापुर के 11 और सुकमा जिले के 7 गांव शामिल हैं। कभी नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका कहे जाने वाले कोंडापल्ली और जिडपल्ली गांव में भी इस बार तिरंगा फहराया गया। यह बदलाव अचानक नहीं आया, बल्कि इसके पीछे सुरक्षा बलों की वर्षों की मेहनत और जोखिम भरा अभियान रहा। नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई और उनके शीर्ष नेतृत्व को खत्म करने की रणनीति ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया। खासकर नक्सली लीडर बसवा राजू के एनकाउंटर के बाद नक्सलियों का मनोबल काफी गिरा और उनकी पकड़ कमजोर हो गई।

इस स्वतंत्रता दिवस पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने परेड की सलामी ली, जबकि दंतेवाड़ा में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने तिरंगा फहराया। गांवों में तिरंगा फहराने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, देशभक्ति गीत और स्थानीय नृत्यों का आयोजन भी हुआ, जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी बढ़-चढ़कर शामिल हुए। इन कार्यक्रमों में सुरक्षा बलों के जवानों और ग्रामीणों के बीच आपसी मेलजोल और विश्वास की झलक साफ देखने को मिली।

इस बदलाव ने न केवल नक्सल प्रभावित इलाकों में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत की हैं, बल्कि लोगों के मन से डर भी खत्म किया है। अब गांवों में विकास की योजनाएं लागू हो रही हैं, सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं बहाल हो रही हैं। यह स्वतंत्रता दिवस बस्तर के लिए सिर्फ एक राष्ट्रीय पर्व नहीं, बल्कि जीत, उम्मीद और नए भविष्य का प्रतीक बन गया है। यह इस बात का सबूत है कि संगठित प्रयास, साहस और लोकतंत्र की शक्ति से सबसे कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।