नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 और ₹2000 करोड़ NCDC अनुदान से सहकारी क्षेत्र सशक्तिकरण

Tue 12-Aug-2025,05:43 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 और ₹2000 करोड़ NCDC अनुदान से सहकारी क्षेत्र सशक्तिकरण त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय, बहुस्तरीय निगरानी तंत्र और निवेश से सहकारी आंदोलन को नई गति
  • ‘त्रिभुवन’ सहकारी विश्वविद्यालय से शिक्षा व प्रशिक्षण को बढ़ावा।

  • ₹2000 करोड़ अनुदान से NCDC को सशक्त बनाने की योजना।

  • नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 से सहकारी आंदोलन को बढ़ावा।

Delhi / New Delhi :

सहकारिता मंत्रालय की पहलें पारदर्शिता बढ़ाने, सहकारी संस्थाओं की कार्यकुशलता और जवाबदेही सुधारने, सहकारिताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने, सहकारी गतिविधियों में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, मौजूदा योजनाओं की पहुंच और प्रभावशीलता में विस्तार करने तथा देशभर में सहकारी शासन तंत्र को मजबूत करने पर केंद्रित हैं।

हाल ही में सहकारिता मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति, 2025 लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य कानूनी, आर्थिक और संस्थागत ढांचे को मजबूत कर जमीनी स्तर पर सहकारी आंदोलन को गहराई तक पहुंचाना है। यह नीति सहकारी उद्यमों को पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक-आधारित, जीवंत और उत्तरदायी आर्थिक संस्थाओं में बदलने में मदद करेगी, जो जनसाधारण के उत्पादन को प्रोत्साहित करेंगी।

सरकार ने केंद्रीय क्षेत्र की योजना “नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (NCDC) को अनुदान” को भी मंजूरी दी है, जिसका कुल प्रावधान ₹2000 करोड़ है, जो 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों में (प्रति वर्ष ₹500 करोड़) खर्च किया जाएगा। इस अनुदान के आधार पर NCDC चार वर्षों में खुले बाजार से ₹20,000 करोड़ जुटा सकेगा, जो नए प्रोजेक्ट स्थापित करने, संयंत्रों के विस्तार और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहकारी संस्थाओं को ऋण के रूप में दिया जाएगा।

इसके अलावा, ‘त्रिभुवन’ सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) की स्थापना त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2025 के तहत की गई है, जिसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। गुजरात के आनंद में स्थित यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन में उच्च शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण के माध्यम से सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कार्य करेगा। यह विश्वविद्यालय अकादमिक उत्कृष्टता को वास्तविक सहकारी आवश्यकताओं के साथ जोड़ते हुए नवाचार, उद्यमिता और सहकारी शासन में श्रेष्ठ प्रथाओं को बढ़ावा देगा। TSU देशभर में प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति के मानकीकरण के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करेगा और सहकारिताओं के लिए कुशल कार्यबल तैयार करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।

इन पहलों और परियोजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन तथा मौजूदा ढांचे में किसी भी चुनौती या कमी को दूर करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने जमीनी स्तर पर प्रगति की निगरानी हेतु बहु-स्तरीय दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें शामिल हैं—

  • अंतर-मंत्रालयी समितियां (IMC) – माननीय सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में तथा संबंधित मंत्रालयों/विभागों के मंत्रियों और सचिवों की सदस्यता में गठित, जो “देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और इसे जमीनी स्तर तक गहरा करने” एवं “सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना” जैसी परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती हैं।

  • राष्ट्रीय स्तर समन्वय समिति (NLCC) – सहकारिता सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित, जिसमें केंद्र व राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य हितधारक शामिल हैं, जो परियोजनाओं के समग्र क्रियान्वयन का मार्गदर्शन करते हैं।

  • राज्य सहकारी विकास समिति (SCDC) – राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में, और जिला सहकारी विकास समिति (DCDC) – जिला स्तर पर जिलाधीश की अध्यक्षता में गठित, ताकि मंत्रालय की सभी पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी को सुनिश्चित किया जा सके।

  • राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय कार्यान्वयन व निगरानी समितियां (NLMIC, SLIMC, DLIMC) – प्राथमिक कृषि साख समिति (PACS) कंप्यूटरीकरण परियोजना की समीक्षा हेतु गठित।

  • इसके अतिरिक्त, मंत्रालय के सचिव स्तर पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों के सचिवों के साथ बैठकें की जाती हैं, ताकि प्रगति की समीक्षा हो सके और चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

  • सचिव (सहकारिता) की अध्यक्षता में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और संबंधित हितधारकों के साथ मासिक समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिसमें विभिन्न पहलों की प्रगति की समीक्षा की जाती है।

यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने दी।