नासिक में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि: कंटेनमेंट ज़ोन घोषित, प्रशासन हाई अलर्ट

Tue 25-Nov-2025,03:56 PM IST +05:30

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नासिक में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि: कंटेनमेंट ज़ोन घोषित, प्रशासन हाई अलर्ट नासिक में घातक वायरस का साया! पूरे इलाके में मचा अलर्ट
  • नासिक में सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि, क्षेत्र कंटेनमेंट जोन घोषित।

  • एक किलोमीटर क्षेत्र संक्रमित, तीन किलोमीटर में कड़ी निगरानी और सैनिटाइजेशन।

  • वायरस अत्यधिक घातक, लेकिन मनुष्यों के लिए सुरक्षित; प्रशासन हाई अलर्ट पर।

Maharashtra / Nashik :

Nashik/ महाराष्ट्र के नासिक में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का मामला सामने आने के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है। शहर में मिले इस संक्रमण के बाद प्रभावित क्षेत्र को तुरंत कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। जिला पशुपालन विभाग ने पुष्टि की कि जांच में सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की मौजूदगी पाई गई है, जिसके बाद पूरा महकमा हाई अलर्ट पर है।

नासिक महानगर पालिका क्षेत्र में एक एनजीओ के पास 9 सूअर थे। सभी की मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए सैंपल कोकण भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट में वायरस की पुष्टि होते ही प्रशासन हरकत में आ गया। कलेक्टर ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया और नागरिकों को सावधान रहने की सलाह दी।

प्रभावित स्थान के एक किलोमीटर के दायरे को संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया है, जबकि तीन किलोमीटर के दायरे में कड़ी निगरानी रखी जा रही है। 21 नवंबर को एनिमल हसबेंडरी विभाग की संयुक्त टीम ने इलाके का दौरा किया, लेकिन वहां कोई सूअर जिंदा नहीं मिला। सुरक्षा के लिहाज से पूरे क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया है और निर्देश दिया गया है कि अगले तीन महीने तक वहां सूअर नहीं रखे जाएंगे।

टीम ने एक किलोमीटर के दायरे में सैंपल लेने की कोशिश की, लेकिन कोई सूअर नहीं मिला। अधिकारियों ने बताया कि यह ज़रूरी है कि क्षेत्र में किसी भी बीमार या संदिग्ध हालत वाले सूअर की तुरंत जानकारी दी जाए। वार्ड मेंबर्स को भी सतर्क रहने और मृत सूअर मिलने पर तत्काल सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जांच की जा सके कि कहीं वह भी इस वायरस से संक्रमित तो नहीं था।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सूअरों में तेजी से फैलती है। इससे संक्रमित सूअरों की मृत्यु दर 100 प्रतिशत तक हो सकती है। हालांकि यह वायरस मनुष्यों के लिए खतरा नहीं है। यह वायरस कपड़ों, जूतों, वाहन के पहियों और अन्य सतहों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है, इसलिए सावधानी और निगरानी बेहद जरूरी है।