लड़कियां तनाव से, लड़के जोखिम से खिंचते नशे की ओर, ब्रेन स्कैन से खुला सच

Mon 24-Nov-2025,05:17 PM IST +05:30

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लड़कियां तनाव से, लड़के जोखिम से खिंचते नशे की ओर, ब्रेन स्कैन से खुला सच
  • नई स्टडी में पाया गया कि नशे का पारिवारिक इतिहास रखने वाले बच्चों में लड़के-लड़कियों के दिमाग की गतिविधि में स्पष्ट अंतर मिलता है।

  • लड़कियों में भावनात्मक तनाव से संबंधित ब्रेन नेटवर्क अधिक संवेदनशील पाए गए, जबकि लड़कों में जोखिम और रिवार्ड सिस्टम ज्यादा सक्रिय।

  • विशेषज्ञों का मानना है कि रोकथाम रणनीतियों को लैंगिक अंतर को ध्यान में रखकर तैयार किया जाए तो नशे की प्रवृत्ति कम की जा सकती है।

Delhi / Central Delhi :

नई दिल्ली / एक नई वैज्ञानिक स्टडी में खुलासा हुआ है कि नशे की लत का पारिवारिक इतिहास रखने वाले बच्चों में लड़कों और लड़कियों के दिमाग का विकास और क्रियाशीलता अलग-अलग तरीके से होती है। इसका मतलब यह है कि पदार्थ उपयोग विकार (Substance Use Disorder SUD) की प्रवृत्ति दोनों में अलग कारणों से और अलग रास्तों से विकसित हो सकती है। वह भी तब, जब उन्होंने कोई नशा करना शुरू ही नहीं किया हो। यह अध्ययन नेचर मेंटल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका की वेल कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर एमी कुसेयेस्की, जो इस अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका हैं, के अनुसार यह नया शोध बताता है कि लड़के और लड़कियां अक्सर नशे की ओर अलग मार्गों से बढ़ते हैं, और इसका संबंध उनके मस्तिष्क की संरचना और गतिविधियों से है। यह ज्ञान भविष्य में ऐसे बच्चों के लिए अलग-अलग रोकथाम रणनीतियाँ बनाने में मदद कर सकता है।

ब्रेन एक्टिविटी को मापा गया

शोधकर्ताओं ने लगभग 1,900 बच्चों (आयु 9 से 11 वर्ष) के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया। यह डेटा अमेरिकी 'Adolescent Brain Cognitive Development (ABCD)' स्टडी का हिस्सा था, जो दुनिया का सबसे बड़ा दीर्घकालिक बाल-मस्तिष्क अनुसंधान परियोजना है। विशेषज्ञों ने मस्तिष्क में resting-state activity यानी आराम की अवस्था में विभिन्न न्यूरल नेटवर्क्स के बीच के संक्रमण (Transitions) को मापा। यह देखा गया कि बच्चे के दिमाग में गतिविधि एक पैटर्न से दूसरे पैटर्न में कितनी आसानी या कठिनाई से बदलती है। इसे न्यूरोलॉजिकल फ्लेक्सिबिलिटी का संकेत माना जाता है

लड़कियों में अधिक संवेदनशील भावनात्मक प्रतिक्रिया

स्टडी में पाया गया कि जिन लड़कियों के परिवार में नशे की समस्या मौजूद थी, उनके दिमाग के भावनात्मक नियंत्रण वाले हिस्सों (जैसे एमिग्डाला और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स) के बीच गतिविधि में अधिक तीखे उतार-चढ़ाव नजर आए। इससे संकेत मिलता है कि वे नकारात्मक भावनाओं या तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं, जो आगे चलकर नशे की ओर धकेलने वाला बड़ा कारक बन सकता है।

लड़कों में जोखिम और इनाम से जुड़ा पैटर्न ज्यादा सक्रिय

 लड़कों के ब्रेन में निर्णय-निर्माण और रिवार्ड प्रोसेसिंग क्षेत्र में अलग तरह के पैटर्न मिले। इन बच्चों में जोखिम उठाने की प्रवृत्ति और आवेग (Impulsivity) अधिक देखी गई, जो किशोरावस्था में नशे की शुरुआत का प्रमुख कारण हो सकता है।

परिवारिक इतिहास का बड़ा असर

शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को पदार्थ उपयोग विकार की समस्या रही है, उनमें मस्तिष्क नेटवर्क की गतिविधि पहले से ही बदली हुई दिखाई देती है। इससे यह संकेत मिलता है कि नशे की प्रवृत्ति आनुवंशिक और सामाजिक-पर्यावरणीय कारकों का मिला-जुला परिणाम हो सकती है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह अध्ययन?

इस अध्ययन का सबसे अहम निष्कर्ष यह है कि रोकथाम और हस्तक्षेप कार्यक्रमों को लड़कों और लड़कियों के हिसाब से बनाया जाना चाहिए। लड़कियों के लिए भावनात्मक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और आत्मनियंत्रण पर फोकस होना चाहिए। लड़कों के लिए जोखिमपूर्ण व्यवहार, आवेग को नियंत्रित करना और पॉजिटिव रिवॉर्ड सिस्टम को विकसित करना अधिक प्रभावी होगा।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन न्यूरोलॉजिकल संकेतों की पहचान समय रहते करने पर बच्चों को किशोरावस्था की उस उम्र में बचाया जा सकता है जब वे नशे की ओर सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं।