विद्युत संशोधन विधेयक 2025 से बिजली क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और सुधार को बल

Sun 23-Nov-2025,04:14 PM IST +05:30

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विद्युत संशोधन विधेयक 2025 से बिजली क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और सुधार को बल
  • विधेयक बिजली क्षेत्र में क्रॉस-सब्सिडी कम कर औद्योगिक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और किसानों व गरीब परिवारों की रियायतों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह निजी–सरकारी वितरण कंपनियों में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर उपभोक्ताओं को बेहतर, सस्ती और विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।

  • विधेयक नियामक आयोगों को अधिक शक्तियाँ देकर नेटवर्क विस्तार, सेवा गुणवत्ता और वित्तीय अनुशासन को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक सुधार प्रस्तुत करता है।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली / भारत के तेजी से विकासशील आर्थिक ढाँचे को मजबूत ऊर्जा ढांचे की आवश्यकता है, और इसी दिशा में विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह विधेयक बिजली क्षेत्र में दशकों से चली आ रही अक्षमताओं, वित्तीय जोखिमों और सेवा गुणवत्ता की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसका लक्ष्य एक ऐसी आधुनिक और संतुलित बिजली प्रणाली बनाना है, जो किसानों, गरीब परिवारों, उद्योगों और शहरी–ग्रामीण उपभोक्ताओं की जरूरतों को समान रूप से पूरा कर सके।

बिजली क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों को संबोधित करता विधेयक

देश के बिजली वितरण क्षेत्र में लंबे समय से कई गंभीर समस्याएँ बनी हुई थीं—

  • बिलिंग में भारी अक्षमता

  • तकनीकी व वाणिज्यिक हानियों (AT&C losses) का ऊँचा स्तर

  • उपभोक्ता के लिए वितरण कंपनी बदलने का कोई विकल्प न होना

  • क्रॉस सब्सिडी के अत्यधिक बोझ से औद्योगिक बिजली दरों का महंगा होना

  • नेटवर्क निवेश और रखरखाव में वित्तीय बाधाएँ

इन सभी समस्याओं ने बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को गहरे वित्तीय संकट में धकेल दिया था और उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर नकारात्मक प्रभाव डाला था। विद्युत (संशोधन) विधेयक 2025 इसी संकट से बाहर निकालने का व्यापक खाका प्रस्तुत करता है।

टैरिफ सुधार और क्रॉस सब्सिडी तर्कसंगत

विधेयक का एक बड़ा उद्देश्य बिजली के शुल्कों को तर्कसंगत बनाना है।
क्रॉस-सब्सिडी के कारण उद्योगों को अत्यधिक दरें चुकानी पड़ती थीं, जिससे भारत की मैन्युफैक्चरिंग कमजोर पड़ती थी। यह विधेयक पाँच वर्षों की अवधि में क्रॉस-सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करने का मार्ग स्पष्ट करता है।

साथ ही, सेक्शन 65 के तहत पारदर्शी बजटीय सब्सिडी सुनिश्चित की गई है, जिससे किसानों, गरीब परिवारों और पात्र उपभोक्ताओं की रियायतें सुरक्षित रहेंगी। इस व्यवस्था से लाभ यह है कि—

  • उद्योगों के लिए बिजली सस्ती होगी

  • कृषि उपभोक्ताओं को उनकी सब्सिडी मिलती रहेगी

  • राज्यों और केंद्र के बीच सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी

प्रतिस्पर्धा आधारित वितरण प्रणाली

विधेयक बिजली वितरण में नियंत्रित प्रतिस्पर्धा (Regulated Competition) की अवधारणा को लागू करता है, जिससे एक ही क्षेत्र में कई लाइसेंसधारी कार्य कर पाएंगे। इससे होगा—

  • उपभोक्ता को बेहतर सेवाओं का विकल्प

  • खराब सेवाएँ देने वाली कंपनियों पर स्वाभाविक दबाव

  • नवाचार व दक्षता में वृद्धि

  • नेटवर्क का साझा उपयोग, जिससे खर्च कम

यह मॉडल सेवा गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सस्ती व विश्वसनीय बिजली देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

नेटवर्क विकास और ISTS जैसे सफल मॉडल का उपयोग

भारत की अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली (ISTS) विश्वसनीयता और दक्षता का एक सफल उदाहरण है। इसी मॉडल को वितरण स्तर पर भी लागू करने का प्रयास इस विधेयक में किया गया है।

नियामक आयोग (SERC) अब—

  • नेटवर्क शुल्क निर्धारित करेंगे

  • विकास व रखरखाव के लिए पर्याप्त राजस्व सुनिश्चित करेंगे

  • निजी और सरकारी दोनों लाइसेंसधारियों के बीच निष्पक्षता बनाए रखेंगे

इस मॉडल से दोहराव वाले बुनियादी ढाँचे की जरूरत कम होगी और नेटवर्क तेजी से विस्तार कर पाएगा।

ऊर्जा भंडारण और भविष्य की जरूरतों का ध्यान

विधेयक ऊर्जा क्षेत्र की भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए Energy Storage Systems (ESS) को वैधानिक रूप से परिभाषित और संरक्षित करता है।
यह—

  • नवीकरणीय ऊर्जा के प्रभावी उपयोग

  • ग्रिड स्थिरता

  • पीक लोड प्रबंधन

में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

नियामक शक्ति और प्रशासनिक सुधार

विधेयक, राज्य विद्युत नियामक आयोगों (SERC) को अधिक शक्तियाँ देता है—

  • टैरिफ निर्धारण में विलंब होने पर स्वतः संज्ञान

  • गैर-अनुपालन पर दंड

  • सेवा मानकों का कड़ाई से पालन

  • ओपन एक्सेस प्रावधानों का प्रबंधन

इसके अलावा, विद्युत परिषद का गठन केंद्र–राज्य समन्वय को मजबूत करेगा, जिससे नीतियाँ ज्यादा प्रभावी होंगी।

कानूनी स्पष्टता और त्वरित विवाद समाधान

इलेक्ट्रिक लाइन अथॉरिटी का सृजन भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, लाइन स्थापना और स्थानीय विवादों को शीघ्र हल करने में सहायक होगा। इसका ढाँचा टेलीग्राफ अथॉरिटी जैसा होगा।

निष्कर्ष

विद्युत (संशोधन) विधेयक 2025 सिर्फ कानूनी संशोधन नहीं, बल्कि भारत के बिजली क्षेत्र के पूर्ण कायाकल्प का रोडमैप है।
यह—

  • उद्योगों को सस्ती बिजली

  • किसानों व गरीबों को सुरक्षित रियायत

  • उपभोक्ताओं को सेवा गुणवत्ता

  • निजी–सरकारी प्रतिस्पर्धा

  • भविष्य के लिए सक्षम ऊर्जा नेटवर्क

सुनिश्चित करता है। यह विकसित भारत 2047 की दिशा में बिजली क्षेत्र को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।