दिल्ली में 88 लाख की डिजिटल गिरफ्तारी ठगी का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

Tue 25-Nov-2025,04:53 PM IST +05:30

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दिल्ली में 88 लाख की डिजिटल गिरफ्तारी ठगी का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार लोगों को फंसाने के लिए “डिजिटल अरेस्ट” तकनीक का हो रहा इस्तेमाल
  • दिल्ली पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट और फर्जी इन्वेस्टमेंट ठगी में 88 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले तीन आरोपियों को पकड़ा।
     

  • गिरोह खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पीड़ितों को डराता और फर्जी इन्वेस्टमेंट पोर्टल पर पैसे जमा करवाता था।
     

  • पुलिस ने कई मोबाइल फोन, बैंक खातों का डेटा और डिजिटल फ्रॉड डॉक्यूमेंट बरामद कर आगे की जांच शुरू की।

Delhi / Delhi :

क्राइम / दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने एक बड़े डिजिटल ठगी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह डिजिटल अरेस्ट और फर्जी इन्वेस्टमेंट स्कीम के जरिए लोगों को डरा-धमकाकर उनसे पैसे वसूलता था। पुलिस के अनुसार, अब तक इस गिरोह ने 88 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रवि 19, मनदीप 21 और कलीम 32 के रूप में हुई है। कलीम दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन का निवासी है। पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी दिल्ली, गुरुग्राम और हिसार में चलाए गए संयुक्त छापों के दौरान की। अधिकारी के अनुसार, ये लोग एक संगठित साइबर वित्तीय गिरोह का हिस्सा थे, जो लोगों को फंसाने के लिए “डिजिटल अरेस्ट” की तकनीक का इस्तेमाल करता था। यह तकनीक चीन और कुछ अन्य देशों में बढ़ती साइबर ठगी से प्रेरित है, जिसमें पीड़ित को वीडियो कॉल पर भयभीत किया जाता है और खुद को अपराध के आरोप में फंसा हुआ बताया जाता है। फिर गिरोह खुद को अपराध शाखा, सीबीआई, एनआईए या दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर पीड़ित से कहता था कि अगर वह केस से बचना चाहता है तो तुरंत जुर्माना या सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करे।

साइबर गिरोह फर्जी इंटरनेशनल नंबर, वीओआईपी कॉल, पुलिस यूनिफॉर्म वाले वीडियो और डराने वाली बैकग्राउंड क्लिप दिखाकर पीड़ित को भ्रमित कर देता था। उनके पास नकली कोर्ट नोटिस, डिजिटल फाइनेंशियल बांड, और विदेशी इन्वेस्टमेंट पोर्टल भी तैयार रहते थे, इसके अलावा, गिरोह फर्जी इन्वेस्टमेंट ऐप्स चलाते थे, जो शुरू में मुनाफे का झांसा दिखाते थे, लेकिन कुछ समय बाद पीड़ित का पैसा गायब कर देते थे।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपियों के पास से कई मोबाइल फोन, फर्जी डिजिटल डॉक्यूमेंट्स, 25 से ज्यादा बैंक खातों की जानकारी और लाखों रुपये का लेनदेन रिकॉर्ड मिला है। पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार आरोपी केवल ‘फ्रंट एंड ऑपरेटर’ थे, जबकि उनके पीछे एक बड़ा अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय ठगी नेटवर्क सक्रिय है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश कर रही है, जिनमें विदेश में बैठे मास्टरमाइंड भी शामिल बताए जा रहे हैं। पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि किसी भी स्थिति में वीडियो कॉल, संदेश या ईमेल पर खुद को पुलिस या सरकारी एजेंसी बताने वालों पर भरोसा न करें। किसी भी संदेह की स्थिति में तुरंत 1930 हेल्पलाइन या साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।