ग्वालियर जीआरएमसी अध्ययन: एंटीबायोटिक के बढ़ते खतरे और एएमआर के चौंकाने वाले आंकड़े
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आईसीयू से ओपीडी तक एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते मामले, कई दवाएं हो रही हैं बेअसर
जीआरएमसी अध्ययन में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते केस उजागर
आईसीयू, वार्ड और ओपीडी में 17% से अधिक मरीजों पर दवाएं बेअसर
डॉक्टरों ने बिना सलाह एंटीबायोटिक लेने को बताया बड़ा कारण
Gwalior/ सर्दी-जुकाम या हल्के बुखार में एंटीबायोटिक लेने की आदत अब स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है। गजराराजा मेडिकल कालेज (जीआरएमसी) के जया आरोग्य अस्पताल में आईसीयू से लेकर सामान्य वार्ड और ओपीडी तक ऐसे कई मरीज सामने आए हैं, जिन पर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। डॉक्टरों ने इस पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि बिना चिकित्सीय परामर्श के एंटीबायोटिक लेना इस समस्या को बढ़ा रहा है। जीआरएमसी के माइक्रोबायोलाजी विभाग ने कुल 1,954 मरीजों पर अध्ययन किया, इनमें 350 मरीज आईसीयू, 1127 सामान्य वार्डों और 477 मरीज ओपीडी के शामिल किए गए।
इन मरीजों के 2093 सैंपल की जांच की गई। अध्ययन के अनुसार आईसीयू के 17.3 फीसद मरीजों में एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) देखा गया, जबकि ओपीडी और सामान्य वार्ड के मरीजों में एएमआर का प्रतिशत इससे भी अधिक रहा।
इन बैक्टीरिया पर नहीं हुआ दवाओं का असर
ब्लड सैंपल से पहचाने गए जिन प्रमुख बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर कम पाया गया, उनमें स्टेफाइलोकोकस आरियस, क्लेबसिएला न्यूमोनिया, एसिनेटोबैक्टर एसपी, एंटरोकोकस प्रजाति और साल्मोनेला टाइफी शामिल हैं। इनके खिलाफ एमिकासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, सेफ्ट्रिएक्सोन, अमोक्स-क्लैव, टीएमपी-एसएमएक्स, पिप्टाज और मेरोपेनेम जैसी दवाएं भी प्रभावी परिणाम नहीं दे सकीं। यूरिन सैंपल के अध्ययन में भी इसी तरह कम दवा-प्रभावशीलता सामने आई।