दलित शोधार्थी बसंत कन्नौजिया का निष्कासन विवाद : विश्वविद्यालय प्रशासन घिरा

Wed 26-Nov-2025,12:00 AM IST +05:30

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दलित शोधार्थी बसंत कन्नौजिया का निष्कासन विवाद : विश्वविद्यालय प्रशासन घिरा निष्पक्ष सुनवाई के बिना कार्रवाई से भड़का विवाद, ठंड में धरने पर डटे शोधार्थी के समर्थन में छात्र संगठनों की आवाज़ तेज़
  • दलित शोधार्थी बसंत कन्नौजिया को बिना सुनवाई निष्कासित किए जाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठे।

  • छात्र संगठनों ने निष्कासन को साजिश बताते हुए वंचित वर्गों के खिलाफ संस्थागत दमन बढ़ने का आरोप लगाया।

  •  कड़ाके की ठंड में एक सप्ताह से बसंत का धरना, प्रशासन पर मानसिक दबाव बनाने के आरोप भी लगे।

Uttar Pradesh / Lucknow :

Lucknow / बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में दलित शोधार्थी बसंत कुमार कन्नौजिया के निष्कासन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना किसी ठोस साक्ष्य और बिना उनका पक्ष सुने बिना अचानक निष्कासन का आदेश जारी कर दिया। यह कदम न केवल छात्र समुदाय में नाराज़गी पैदा कर रहा है, बल्कि इसे दलित शोधार्थियों पर बढ़ते संस्थागत दमन का उदाहरण भी माना जा रहा है।

बसंत कन्नौजिया पिछले एक सप्ताह से विश्वविद्यालय परिसर में कड़ाके की ठंड के बीच धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि उन्हें अपने लिए न्याय की लड़ाई खुद लड़नी पड़ रही है, जबकि विश्वविद्यालय का दायित्व निष्पक्ष सुनवाई और संरक्षण देना होता है। आरोप यह भी हैं कि प्रशासन ने बसंत सहित कई छात्रों के घर नोटिस व पत्र भेजकर दबाव बनाने की कोशिश की है।

छात्र संगठनों ने प्रश्न उठाया है कि क्या विश्वविद्यालय में अम्बेडकरवाद, समानता और सामाजिक न्याय की बात करना अपराध हो गया है। प्रशासन पर मनमानी और तानाशाही के आरोप लग रहे हैं। इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हाल ही में चार छात्रों के निष्कासन का मामला भी छात्रों द्वारा समान रूप से निंदनीय बताया गया है।

विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि बसंत के खिलाफ की गई कार्रवाई साजिशन है और इससे विश्वविद्यालयों में वंचित वर्गों के शोधार्थियों पर बढ़ते उत्पीड़न की स्पष्ट झलक मिलती है। छात्रों ने मांग की है कि बसंत का निष्कासन तुरंत रद्द किया जाए और उनकी सभी शोध-संबंधी सुविधाएं तत्काल बहाल की जाएँ।