अयोध्या समारोह के बीच AIMIM नेता वारिस पठान के बयान से बढ़ी राजनीतिक हलचल
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अयोध्या में राम मंदिर के औपचारिक समापन समारोह में पीएम मोदी ने शिखर पर विशेष धर्मध्वज फहराया। AIMIM नेता वारिस पठान ने बाबरी मस्जिद पर पुराने रुख को दोहराकर राजनीतिक विवाद को नई दिशा दी।
अयोध्या/ अयोध्या में मंगलवार को आयोजित ऐतिहासिक ध्वजारोहण और राम मंदिर निर्माण के औपचारिक समापन समारोह के बीच राजनीतिक बयानबाज़ी अचानक तेज़ हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव-निर्मित राम मंदिर के शिखर पर विशेष ‘धर्मध्वज’ फहराकर समारोह की शुरुआत की, जिसे पूरे देश के राम भक्तों ने एक भावनात्मक और सांस्कृतिक जीत के रूप में देखा। इस मौके पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। पूरे कार्यक्रम के दौरान मंदिर परिसर में कला, संस्कृति और भक्ति का अद्वितीय संगम दिखाई दिया।
लेकिन इस बीच AIMIM नेता वारिस पठान का विवादित बयान सुर्खियों में आ गया। उन्होंने बाबरी मस्जिद को लेकर अपनी पार्टी के पुराने रुख को दोहराते हुए कहा, “हमारा आज भी मानना है कि वहां मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी।” इस बयान ने राजनीतिक बहस को हवा दे दी है और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस पर तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है।
पठान ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर पक्षपातपूर्ण राजनीति करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संविधान की शपथ लेकर सभी नागरिकों के नेता हैं, लेकिन कई भाजपा नेता मुसलमानों को लगातार निशाने पर लेते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मस्जिदों पर कार्रवाई, मदरसों की निगरानी और अज़ान पर प्रतिबंध संबंधी शिकायतें मुसलमानों की धार्मिक पहचान पर हमले की तरह हैं।
दूसरी ओर, अयोध्या का कार्यक्रम पूरी तरह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रंग में रंगा दिखाई दिया। उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित प्रस्तुतियों में 500 से अधिक कलाकारों ने ब्रज, अवधी, बुंदेलखंडी और पूर्वांचल की लोककलाओं का प्रदर्शन किया। मंदिर परिसर जय श्री राम के नारों और भक्ति से गूंजता रहा।
मोहन भागवत ने धर्मध्वज को सनातन संस्कृति और सत्य का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह ध्वज समाज को मार्गदर्शन देता रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सदियों के संघर्ष और बलिदान के बाद मंदिर निर्माण पूरा होना एक ऐसे घाव का भरना है जो लंबे समय से सामाजिक और भावनात्मक रूप से महसूस किया गया।
वारिस पठान के बयान ने जहां विवाद को नया मोड़ दिया है, वहीं अयोध्या का यह कार्यक्रम इतिहास में एक ऐसे दिन के रूप में दर्ज हो गया है जहां भक्ति, विरासत, राजनीति और पहचान की बहस एक ही मंच पर टकराती नजर आई।