UPSC: देश को सबसे ज्यादा IAS देने वाला राज्य कौन? चौंकाने वाली रिपोर्ट!
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उत्तर प्रदेश नंबर-1, बिहार और राजस्थान भी टॉप लिस्ट में शामिल
यूपीएससी में सबसे अधिक IAS अफसर देने वाला राज्य — उत्तर प्रदेश
बिहार और राजस्थान क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर
प्रयागराज, वाराणसी और लखनऊ बने UPSC तैयारी के प्रमुख केंद्र
भारत की सबसे कठिन परीक्षा की बात करें, तो यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा का नाम इसमें सबसे पहले नंबर पर आता है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा हर साल यह परीक्षा आयोजित की जाती है, ताकि हमारे देश को चलाने में अहम भूमिका निभाने वाले ब्यूरोक्रेट की कमी ना हो।
यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू राउंड होता है। इन तीनों राउंड को क्लियर करने के बाद ही एक उम्मीदवार IAS या IPS बनता है. इस परीक्षा की कठिनाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हर साल करीब 10 लाख उम्मीदवार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन लगभग 1000 उम्मीदवार ही इस परीक्षा को पास कर अपना ऑफिसर बनने का सपना पूरा कर पाते हैं। इसी कड़ी में एक बात बड़ी प्रचलित है कि देश में सबसे ज्यादा IAS-IPS बिहार से निकलते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और है।
इस राज्य ने दिए देश को सबसे ज्यादा IAS
देश को सबसे अधिक आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) देने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का नंबर आता है, जहां कहावत है कि यहां बच्चों को बचपन में सबसे पहले ABCD के बजाय UPSC बोलना सिखाया जाता है. वहीं, इस लिस्ट में तीसरा स्थान रजवाड़ों की धरती राजस्थान का है। इस राज्य ने भी देश को ना जाने कितने IAS-IPS व अन्य अधिकारी दिए हैं, जो देश में कई उपलब्धियां हासिल कर भारत को एक नए मुकाम पर ले जाने को अग्रसर हैं.
उत्तर प्रदेश कैसे बना देश को सबसे ज्यादा IAS देने वाला राज्य?
आंकड़ों पर नजर डालें, तो फरवरी 2024 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश ने देश को अब तक कुल 652 आईएएस अफसर दिए हैं, जिसमें से 548 अफसर कार्यरत हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि राज्य के कई जिलों जैसे प्रयागराज, वाराणसी और लखनऊ में कई जानें माने कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं, जो यूपीएससी की तैयारी का गढ़ माने जाते हैं और यहीं से कई उम्मीदवार IAS बनकर निकले हैं। इसके अलावा, यहां के युवाओं का राजनीति और प्रशासनिक पदों की ओर रुझान भी उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने के लिए प्रेरित करता है।