कार्तिगई दीपम 2025: अरुणाचलेश्वर मंदिर में महा दीपम प्रज्वलन, भक्तों की भारी भीड़

Wed 03-Dec-2025,10:38 PM IST +05:30

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कार्तिगई दीपम 2025: अरुणाचलेश्वर मंदिर में महा दीपम प्रज्वलन, भक्तों की भारी भीड़ Karthigai Deepam: Tamil Nadu festival
  • भगवान शिव और कार्तिकेय की आराधना का प्राचीन पर्व.

  • तिरुवनमलाई में महा दीपम दर्शन हेतु लाखों भक्तों की भीड़.

  • सुरक्षा, ट्रैफिक और व्यवस्थाओं में प्रशासन पूरी तरह सक्रिय.

Tamil Nadu / Tiruvannamalai :

Tiruvannamalai / मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर, इस वर्ष गुरुवार 4 दिसंबर को कार्तिगई दीपम का भव्य पर्व मनाया जाएगा। यह त्योहार तमिलनाडु, श्रीलंका और तमिल समुदायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दीपम जलाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

कार्तिगई दीपम का उत्सव दस दिनों तक चलता है, और इसके अंतिम दिन तिरुवन्नामलाई की अन्नामलाई पहाड़ी पर जलाया जाने वाला ‘महादीपम’ इस पर्व का सबसे दिव्य क्षण माना जाता है। बुधवार शाम 6 बजे इस महा दीपम के प्रज्वलित होने का दृश्य देखने के लिए लाखों भक्त भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पहुंच रहे हैं।

अरुणाचलेश्वर मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
कार्तिगई दीपम के दसवें दिन से ही तिरुवन्नामलाई के पवित्र अरुणाचलेश्वर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा है। पहाड़ी के चारों ओर भक्तों की आवाजाही इतनी अधिक है कि पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि भीड़ नियंत्रण और यातायात सुचारू रूप से चल सके।

घर–घर में भी इस दिन मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं, जो रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। लोग अपने घरों के आंगन, छत और मंदिरों में दीये जलाकर भगवान शिव और कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

क्यों मनाया जाता है कार्तिगई दीपम?
यह त्योहार भगवान शिव के अग्नि स्तंभ स्वरूप से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच इस बात पर विवाद हुआ कि दोनों में से कौन महान है। विवाद समाप्त करने के लिए शिवजी ने स्वयं को एक अनंत अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट किया।

ब्रह्मा जी यह जानने के लिए हंस बनकर स्तंभ की ऊंचाई खोजने निकले, लेकिन असफल रहे। रास्ते में मिले एक फूल से उन्होंने झूठी गवाही देने की विनती की कि उसने शिवजी के शीर्ष को देखा है। ब्रह्मा जी की यह कपटपूर्ण कोशिश भगवान शिव को क्रोधित कर गई, और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि धरती पर उनका कोई मंदिर या शिवलिंग स्थापित नहीं होगा। साथ ही, केवड़े के फूल को भी श्राप दिया गया कि वह शिव पूजा में इस्तेमाल नहीं होगा।

तिरुवन्नामलाई वही स्थान माना जाता है जहां शिवजी ने ब्रह्मा को यह श्राप दिया था। यही कारण है कि यहां का महादीपम धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

कार्तिकेय और दिव्य ज्योतियों की कथा
यह पर्व भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय (मुरुगन) से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिकेय का जन्म छह दिव्य ज्योतियों से हुआ था। कार्तिगई दीपम इन ज्योतियों की पूजा का भी प्रतीक है। दीपकों की रोशनी बुराई पर अच्छाई और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक मानी जाती है।

लोग तीन दिनों तक लगातार घरों और मंदिरों में दीपम जलाते हैं, और अंतिम दिन अन्नामलाई पहाड़ी पर जलाया गया महादीपम कई किलोमीटर दूर से दिखाई देता है। इसे शिव के दिव्य अग्नि स्तंभ का प्रतीक माना जाता है।

थूथुकुडी में तैयारियां तेज, बाजारों में रौनक
तमिलनाडु के थूथुकुडी शहर में भी कार्तिगई दीपम की धूम देखने लायक है। बाजार सुबह से ही गुलजार हैं। प्रशासन ने सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की है—पुलिस बल की तैनाती, ट्रैफिक डायवर्जन और सीसीटीवी निगरानी शामिल है।

24 नवंबर से शुरू हुआ यह पवित्र उत्सव 7 दिसंबर तक चलेगा। भक्तों की सुविधा और सुरक्षित दर्शन को ध्यान में रखते हुए सभी व्यवस्थाएँ मजबूत की गई हैं।

कार्तिगई दीपम सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भगवान शिव और कार्तिकेय की दिव्य लीला का अनुपम उत्सव है। यह रोशनी, भक्ति, विश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है, जो हर वर्ष लाखों भक्तों के हृदय में नई आशा और सकारात्मकता भर देता है।