PMMSY के तहत ट्रांसपोंडर, बीमा कवर और सुरक्षा किट से देशभर में समुद्री मछुआरों की सुरक्षा सशक्त
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PMMSY के तहत मछुआरों को सुरक्षा किट, संचार उपकरण और बीमा कवर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे समुद्र में जीवनरक्षा मजबूत हो रही है।
प्रतिवर्ष 32 लाख से अधिक मछुआरों को बीमा कवर मिल रहा है, जिससे आजीविका सुरक्षा और नीति समर्थन दोनों में बढ़ोतरी हो रही है।
Delhi/ भारत सरकार का मत्स्यपालन विभाग समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा, संचार और बीमा कवरेज को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगातार बड़े कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत सरकार तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, ताकि मछुआरों को समुद्र में प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान सुरक्षित रखा जा सके। योजना के तहत परंपरागत और मोटराइज्ड नावों के लिए सुरक्षा किट, जिनमें GPS, लाइफ जैकेट, लाइफबॉय, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, रडार रिफ्लेक्टर, फ्लेयर्स, बैकअप बैटरी और सर्च एंड रेस्क्यू बीकन शामिल हैं, वितरित किए जा रहे हैं।
पिछले पाँच वर्षों में PMMSY के माध्यम से 50.05 करोड़ रुपये की लागत से 14,300 संचार उपकरण उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इसके अलावा योजना के तहत मछुआरों को मृत्यु और शारीरिक अक्षमता के लिए बीमा कवर तथा फिशिंग वेसल्स के बीमा के लिए प्रीमियम में अनुदान भी दिया जा रहा है। बीमा कवरेज में मृत्यु या स्थायी पूर्ण अक्षमता पर ₹5 लाख, स्थायी आंशिक अक्षमता पर ₹2.5 लाख और अस्पताल भर्ती पर ₹25,000 शामिल हैं। विगत तीन वित्तीय वर्षों और वर्तमान वर्ष को मिलाकर औसतन 32.82 लाख मछुआरों को बीमा कवरेज प्रतिवर्ष प्रदान किया गया है।
सुरक्षा को और मजबूत करते हुए सरकार ने वेसल कम्युनिकेशन और सपोर्ट सिस्टम (NRVCSS) के राष्ट्रीय रोलआउट को भी मंजूरी दी है। कुल 364 करोड़ रुपये की लागत से एक लाख फिशिंग वेसल्स पर ट्रांसपोंडर लगाए जा रहे हैं, जिनमें जियो-फेंसिंग सुविधा है, जो सीमाओं के निकट पहुँचने पर चेतावनी जारी करती है। अब तक 45,051 ट्रांसपोंडर इंस्टॉल किए जा चुके हैं, जिसमें तमिलनाडु में ब्लू रिवोल्यूशन योजना के तहत लगाए गए 3,884 ट्रांसपोंडर भी शामिल हैं।
तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मत्स्य विभाग और भारतीय तटरक्षक मिलकर नियमित कम्युनिटी इंटरैक्शन प्रोग्राम आयोजित कर रहे हैं, जिनमें मछुआरों को सुरक्षा उपकरणों के महत्व, संचार प्रणाली के उपयोग और समुद्री सीमा का पालन करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है।