हनुमान घाट पर पवित्र स्नान और बाल मंडप की पाठशाला ने बढ़ाया काशी-तमिल सांस्कृतिक जुड़ाव
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Kashi/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ को साकार करने के उद्देश्य से चल रहे काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत सोमवार का दिन आध्यात्मिकता, संस्कृति और शिक्षा—तीनों ही स्तरों पर बेहद प्रेरणादायक रहा। तमिलनाडु से आए प्रतिनिधिमंडलों द्वारा काशी में आयोजित विभिन्न गतिविधियों ने दोनों सभ्यताओं के प्राचीन संबंध को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
दिन की शुरुआत हनुमान घाट पर विशेष पवित्र स्नान के साथ हुई, जहां तमिलनाडु से आए प्रतिभागियों ने विधिविधान से गंगा स्नान कर प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक धारा के प्रति अपनी आस्था प्रकट की। प्रतिभागियों का कहना था कि गंगा स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि काशी और तमिल सभ्यता के हजारों वर्षों पुराने आध्यात्मिक मिलन का अनुभव था। इस आयोजन ने संगमम् के मूल मंत्र - सांस्कृतिक एकता, परस्पर सद्भाव और साझा विरासत को और अधिक मजबूत किया।
इसी के साथ संस्कृति मंत्रालय द्वारा नमो घाट स्थित “बाल मंडप” में आयोजित विशेष पाठशाला ने बच्चों को काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। यहां बच्चों ने संवाद, पेंटिंग, लोककथाओं, नृत्य एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के माध्यम से दोनों क्षेत्रों की परंपराओं, कलाओं और ऐतिहासिक संबंधों के बारे में जाना। कार्यक्रम का उद्देश्य नई पीढ़ी में सांस्कृतिक विविधता के प्रति गर्व की भावना विकसित करना और भारत की एकता को जड़ों से समझाना था।
बाल मंडप में बच्चों ने तमिल और काशी की पारंपरिक कला शैलियों, भाषा, अनुष्ठानों और ऐतिहासिक संबंधों को सीखकर उत्साह व्यक्त किया। इस पहल ने यह संदेश और भी मजबूत किया कि भारत की वास्तविक शक्ति उसकी विविधता, साझी विरासत और सांस्कृतिक सामंजस्य में निहित है। काशी तमिल संगमम् 4.0 ने एक बार फिर साबित किया कि सभ्यतागत जुड़ाव न केवल लोगों को करीब लाता है, बल्कि राष्ट्र को भी आध्यात्मिक व सांस्कृतिक रूप से एक सूत्र में बांधता है।