AIMIM के ओवैसी का नीतीश सरकार को समर्थन प्रस्ताव और सीमांचल न्याय की मांग

Sat 22-Nov-2025,12:26 PM IST +05:30

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Asaduddin Owaisi Bihar speech
  • ओवैसी ने नीतीश सरकार को समर्थन देने की इच्छा जताई.

  • सीमांचल के विकास को AIMIM ने मुख्य शर्त बताया.

  • बिहार चुनाव 2025 के बाद राजनीतिक समीकरणों में हलचल. 

Telangana / Hyderabad :

Hyderabad / बिहार के अमौर में आयोजित जनसभा में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से एक बड़ा प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी नीतीश सरकार को सहयोग देने के लिए तैयार है, लेकिन शर्त यह है कि सीमांचल के साथ न्याय होना चाहिए। ओवैसी का यह बयान चुनाव के बाद की राजनीति में एक नया संकेत माना जा रहा है, खासकर तब जब उन्होंने यह भी ऐलान किया कि आने वाले 6 महीनों में सभी पांच विधायकों के लिए क्षेत्र में पार्टी कार्यालय खोले जाएंगे। उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया कि विधायक हफ्ते में दो बार उन कार्यालयों में जनता से मिलेंगे और वे खुद भी हर छह महीने में क्षेत्र का दौरा करेंगे।

सभा के दौरान उन्होंने नई सरकार को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि उनकी पार्टी विकास और न्याय के मुद्दे पर सरकार का समर्थन करने को तैयार है। महागठबंधन के कमजोर प्रदर्शन पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ नेता चुनाव नतीजों के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं। उन्होंने बिना नाम लिए अखिलेश यादव के उस बयान का ज़िक्र किया, जिसमें AIMIM को जनादेश विभाजन का कारण बताया गया था। ओवैसी ने इस पर कहा कि यह जनता का फैसला है और इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने यह भी माना कि उन्हें इस परिणाम की संभावना थी, लेकिन NDA के 200 सीटों तक पहुँचने की उम्मीद नहीं थी।

ओवैसी ने कहा कि अगर महागठबंधन फिर से वही पुराना आरोप लगाने का सिलसिला शुरू करता है, तो उन्हें लगे रहने दीजिए, क्योंकि अब वक्त है यह सोचने का कि जनता ने यह फैसला क्यों दिया। उन्होंने नीतीश कुमार से दोहराया कि अगर वास्तव में विकास करना है, तो सीमांचल को बराबरी, संसाधन और सम्मान मिलना चाहिए।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने 202 सीटें जीतकर सरकार बनाई है, जिसमें BJP ने 89 और JDU ने 84 सीटें हासिल कीं। नीतीश कुमार ने 26 मंत्रियों के साथ शपथ लेकर अपने दसवें कार्यकाल की शुरुआत की है और विभागों का बंटवारा भी पूरा हो चुका है। अब देखने की बात यह है कि क्या नीतीश सरकार ओवैसी के इस राजनीतिक प्रस्ताव को लेकर आगे कोई कदम उठाती है या नहीं।