देहदान पर अनिल काले को मिला राजकीय सम्मान, मेडिकल कॉलेज ने दी विदाई
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मरणोपरांत देहदान पर अनिल काले को मेडिकल कॉलेज में पूरे राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। परिवार ने कानूनी औपचारिकताएँ पूरी कर पार्थिव देह को चिकित्सा शिक्षा और शोध हेतु मेडिकल कॉलेज को सौंपा।
जबलपुर/ जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के लिपिक अनिल काले को मरणोपरांत देहदान करने पर राज्य शासन की ओर से गुरुवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में राजकीय सम्मान दिया गया।
55 वर्षीय अनिल काले का बुधवार को हृदयघात से निधन हो गया था। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, परिजनों ने सभी कानूनी औपचारिकताएँ पूरी कर उनकी पार्थिव देह मेडिकल कॉलेज को चिकित्सा शिक्षा और शोध के लिए सौंप दी। मेडिकल कॉलेज में पूरे सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस भावुक अवसर पर उनकी पत्नी नीना काले, बड़े भाई श्रीकांत काले, पार्षद प्रतिभा भापकर, पुरुषोत्तम माने, सुनील कुमार, अनिल शिंदे, नितिन माने सहित इंजीनियरिंग कॉलेज के कर्मचारी और रिश्तेदार उपस्थित थे।
एनाटॉमी विभाग के डॉ. नटवर अग्रवाल और बॉडी डोनेशन नोडल अधिकारी डॉ. राजेंद्र सिंह कुशवाहा ने पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मरणोपरांत देहदान करने वाले व्यक्तियों को राजकीय सम्मान देने की पहल से समाज में देहदान के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देहदान चिकित्सा छात्रों को मानव शरीर की संरचना को निकट से समझने और शोध में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देता है।
परिजनों ने भी बताया कि अनिल काले जीवन भर समाज सेवा और मानवता के कार्यों में विश्वास रखते थे और देहदान उनकी अंतिम इच्छा थी। उनके इस निर्णय ने न केवल चिकित्सा जगत को सहयोग दिया है, बल्कि समाज में भी एक प्रेरणादायक संदेश छोड़ा है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उनके योगदान को मानवता की सेवा के अनमोल प्रयास के रूप में रेखांकित किया।