महानुभावीय सांकेतिक ‘सकल लिपि’ पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन भाषा हमारी अर्जित संपदा होती है - कुलपति प्रो कुमुद शर्मा
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दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में महानुभावीय ‘सकल लिपि’ पर विस्तृत चर्चा।
कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा सहित कई विद्वानों और संतों की महत्वपूर्ण उपस्थित।
पुस्तकों व भित्ती पत्रिका का विमोचन, समापन सत्र 21 नवंबर को आयोजित होगा।
Ridhapur / भाषा हमारी अर्जित संपदा होती है, इसलिए मन के निकट होती है, वह हमारा स्वाभिमान बन जाती है । रिद्धपुर की भूमि पर श्रीचक्रधर स्वामी का कार्य व महानुभाव पंथ का कार्य देखती हूं, तो महानुभाव पंथ मराठी भाषा व संस्कृति पर कितना गर्व करता है, पंथ ने उसे संरक्षित करने व स्वाभिमान दिलाने का प्रण लिया है, यह हम सभी के लिए बड़ी गौरव की बात है। श्रीचक्रचर स्वामी ने अपनी ज्ञान संपदा को संरक्षित करने का इतना बड़ा बीड़ा उठाया था और समाज को बहुत कुछ दिया।
उक्त संबोधन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा की प्रो. कुलपति कुमुद शर्मा ने किया । महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्वज्ञान अध्ययन केंद्र, रिद्धपुर द्वारा आज महानुभावीय सांकेतिक ‘सकल लिपि’ अध्ययन विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. कुलपति कुमुद शर्मा बोल रही थी ।
उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित हुए मराठी भाषा विश्वविद्यालय रिद्धपुर के कुलपति प्रो अविनाश आवलगावकर ने अपने संबोधन में सकल लिपि के अर्थ से परिचय करा कर महानुभाव तत्वज्ञान व सकल लिपि के विकास पर अपनी बात रखी । उदघाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के अध्यक्षकविश्वर कुलाचार्य प.पू.प.म. श्री कारंजेकर बाबा ने कहा कि आठ सौ साल पहले जिस लिपि का निर्माण किया गया और जिसका संशोधन और चिंतन अभीतक केवल संत ही कर रहे थे, आज उस लिपि का अध्ययन समाज कर रह है, इसकी मुझे खुशी है । लोणार सरोवर की निर्मिति उल्का पात से हुई यह बात सर्वज्ञ श्रीचक्रधर स्वामी ने आठ सौ साल पहले अपने महाराष्ट्र भ्रमण के दौरान बतायी थी, यह बात कारंजेकर बाबा ने अपने वक्तव्य में बतायी। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित विश्वविद्यालय के आवासीय लेखक डॉ. भूषण भावे ने अपने वक्तव्य में रिद्धपुर जैसे आध्यात्मिक व पवित्र भूमि पर आना अपना सौभाग्य माना। विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज खान ने रिद्धपुर केंद्र के स्थापना से अभीतक के विकास पर अपनी बात रखी। दर्शन एवं संस्कृति विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत उपाध्याय ने महानुभाव संप्रदाय के महात्म्य पर अपनी बात रखी। इस अवसर पर आकाश गजभिये का नेट परीक्षा उत्तीर्ण होने पर तथा विषय विशेषज्ञ के रूप में चक्रधर कोठी व विशाल हिवरखेडकर का कुलपति महोदय द्वारा सत्कार किया गया। इस कार्यक्रम में विशाल हिवरखेडकर लिखित ‘श्री गोपिराज ग्रंथसंग्रहालय, हस्तलिखित साहित्याची ग्रंथसूची’ व सहायक प्रोफेसर डॉ. अनवर अहमद सिद्धिकी द्वारा अनुवादित ‘कर्मयोगी गाडगेबाबा एक युग प्रवर्तक’ इन पुस्तकों का विमोचन तथा सकल लिपि आधारित भित्ती पत्रिका का विमोचन कुलपति प्रो कुमुद शर्मा व कविश्वर कुलाचार्य प.पू.प.म. श्री कारंजेकर बाबा के द्वारा किया गया। कार्यशाला के उदघाटन सत्र का स्वागत व प्रास्ताविक रिद्धपुर केंद्र की प्रभारी तथा कार्यशाला की संयोजक डॉ. नीता मेश्राम ने किया । उदघाटन सत्र का संचालन अनुवादक डॉ. स्वप्निल मून तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नितिन रामटेके द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश लेहकपुरे, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिकेत आंबेकर, सहायक प्रोफेसर डॉ.अनवर अहमद सिद्धिकी, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिकेत मिश्र, महंत गोपिराज बाबा, गुरुकुल आश्रम स्कूल के मुख्याध्यापक संजय कोहले, रिद्धपुर केंद्र के सहायक महेश राठोड, एमटीएस भूषण शिरभाते, सफाईकर्मी निखिल गजभिये और सुरक्षाकर्मी रवीन्द्र ठाकरे, सहित पंकज हरणे, आकाश गजभिए, कुनाल हरणे, उज्वल गेडाम आदि की उपस्थिति थी।
समापन सत्र दिनांक 21 नवंबर 2025 को दोपहर 4 बजे होगा । इस सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के पूर्व अध्यक्षआचार्य प्रवर महंत श्री नागराज बाबा उपाख्य महंत श्री गोपिराज बाबा करेंगे। प्रमुख अतिथि के रूप में रिद्धपुर केंद्र की प्रभारी डॉ. नीता मेश्राम तथा शोध अनुषंगी श्री चक्रधर कोठी व श्री विशाल हिवरखेडकर विशेष उपस्थित रहेंगे।