कूनो में ‘मुखी’ ने दिए पाँच शावक, चीता संरक्षण में ऐतिहासिक सफलता
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भारत में जन्मी मादा चीता ‘मुखी’ ने कूनो में पाँच शावकों को जन्म देकर चीता प्रोजेक्ट को नई दिशा दी। अनुकूल भारतीय आवासों में चीता प्रजाति का स्वाभाविक प्रजनन जैव विविधता संरक्षण के लिए बड़ा संकेतक साबित हुआ।
श्योपुर/ मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान, जिसका क्षेत्रफल 344.686 वर्ग किलोमीटर है, ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। भारत में जन्मी मादा चीता ‘मुखी’ ने पाँच शावकों को जन्म दिया है। यह घटना भारत में चीता संरक्षण और पुनर्वास कार्यक्रम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कूनो अभयारण्य विंध्याचल पर्वत श्रेणी के उत्तरी भाग में स्थित है और इसका नाम चंबल की सहायक नदी कूनो के नाम पर पड़ा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया और बधाई दी। उन्होंने बताया कि माँ और सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह उपलब्धि भारत में चीता प्रजाति के स्थायी और प्राकृतिक रूप से प्रजनन की दिशा में एक निर्णायक कदम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 33 माह की उम्र में ‘मुखी’ भारतीय भूमि पर जन्मी पहली मादा चीता है जिसने शावकों को जन्म देकर चीता संरक्षण मिशन को नई दिशा दी है।
सरकार व वन विभाग के अनुसार यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि भारत के आवास, जलवायु, वन संरचना और भोजन श्रृंखला, चीता प्रजाति के अनुकूल हो रहे हैं। यह चीता पुनर्वास परियोजना के दीर्घकालिक उद्देश्यों के लिए बेहद सकारात्मक संकेत देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भविष्य में आत्मनिर्भर, आनुवंशिक रूप से विविध व स्थिर चीता आबादी तैयार करने में मदद मिलेगी, जो जैव विविधता संरक्षण लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करेगी। कूनो में प्रोजेक्ट चीता की सफलता से अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण समुदाय की नजरें एक बार फिर भारत की ओर टिक गई हैं। यह उपलब्धि जंगल संरक्षण, वैज्ञानिक प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के सहयोग का परिणाम बताई जा रही है।