RSS की अखिल भारतीय प्रचार बैठक: शताब्दी वर्ष को लेकर बनी बड़ी योजनाएं

Tue 08-Jul-2025,01:37 AM IST +05:30

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RSS की अखिल भारतीय प्रचार बैठक: शताब्दी वर्ष को लेकर बनी बड़ी योजनाएं Akhil Bharatiya Pracharak Baithak 2025
  • आरएसएस शताब्दी वर्ष की विस्तृत योजना घोषित।

  • हर मंडल व बस्ती में हिंदू सम्मेलन और सामाजिक संपर्क।

  • पंच परिवर्तन व मणिपुर मुद्दे पर विशेष विचार-विमर्श।

Delhi / New Delhi :

Delhi / राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रचारकों की तीन दिवसीय बैठक 4 से 6 जुलाई 2025 तक दिल्ली में सम्पन्न हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य संघ के शताब्दी वर्ष (2025-2026) को लेकर योजनाएं बनाना और आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करना था। बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में RSS के वरिष्ठ प्रचारक अनिल आंबेडकर ने विस्तार से बताया कि इस बैठक में तीन मुख्य बिंदुओं पर चर्चा हुई — संघ का विस्तार, शताब्दी वर्ष की तैयारियाँ, और सभी प्रांतों की गतिविधियों की समीक्षा

प्रेस वार्ता में बताया गया कि शताब्दी वर्ष के अंतर्गत देश के प्रत्येक मंडल और बस्ती में हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। ये सम्मेलन न केवल धार्मिक जागरण और सामाजिक एकता को बढ़ावा देंगे, बल्कि हर परिवार तक जीवन मूल्यों की भावना को भी पहुंचाएंगे। "घर-घर जाकर संवाद स्थापित करना" इस आयोजन का एक बड़ा हिस्सा होगा। संघ का लक्ष्य समाज के हर वर्ग तक पहुंचना और उन्हें संघ की विचारधारा से जोड़ना है।

इस बैठक में विशेष रूप से “पंच परिवर्तन” की अवधारणा पर ज़ोर दिया गया, जो आने वाले वर्षों में सामाजिक और वैचारिक परिवर्तनों का आधार बनेगी। इसके तहत समाज, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों में सकारात्मक बदलाव लाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं।

अनिल आंबेडकर ने बताया कि मणिपुर में जारी जातीय संघर्ष को लेकर भी बैठक में विचार-विमर्श हुआ। संघ के प्रचारकों ने मैतेई और कुकी समुदाय दोनों से संवाद किया है और समरसता की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है।

इसके अलावा, भारत की आर्थिक प्रगति, स्वदेशी उद्योगों का समर्थन, और व्यक्तिगत कल्याण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई। संघ का मानना है कि जब तक प्रत्येक परिवार में जीवन मूल्य और सद्गुण नहीं पनपते, तब तक राष्ट्र का संपूर्ण विकास अधूरा है।

RSS की यह बैठक न केवल संगठनात्मक विस्तार का संकेत देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संघ भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को एक नई दिशा देने के लिए शताब्दी वर्ष को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रहा है।