Delhi / भारतीय सेना ने आज नई दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित मानेकशॉ सेंटर में आगामी त्रि-सेवा अकादमिक प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (Tri-Services Academic Technology Seminar) का एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित किया। यह आयोजन एकीकृत रक्षा स्टाफ (Integrated Defence Staff), भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के समन्वित प्रयासों से संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम 22-23 सितंबर, 2025 को प्रस्तावित मुख्य संगोष्ठी की तैयारियों की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है।
इस संगोष्ठी का केंद्रीय विषय ‘विवेक व अनुसंधान से विजय’ (Victory through Wisdom and Research) है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य सशस्त्र बलों और देशभर के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ाना है ताकि अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा सके और रक्षा प्रणाली को दीर्घकालिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
इस संगोष्ठी के आयोजन का एक महत्वपूर्ण पहलू एक एकीकृत सेवा-अकादमिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) इकोसिस्टम का निर्माण करना है। इसके तहत सशस्त्र बलों की विशेष तकनीकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए देशभर के विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की वैज्ञानिक क्षमताओं को पहचाना जाएगा और उन्हें रक्षा क्षेत्र की परियोजनाओं से जोड़ा जाएगा।
पूर्वावलोकन कार्यक्रम के दौरान एक समर्पित डिजिटल पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया, जो शैक्षणिक संस्थानों को संगोष्ठी में प्रतिभाग करने, प्रतिनिधियों को पंजीकृत करने, परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत करने और तकनीकी नवाचारों का प्रदर्शन करने की सुविधा प्रदान करता है। इस पोर्टल के माध्यम से भारत के विभिन्न संस्थान और अनुसंधान केंद्र अपनी विशेषज्ञता का लाभ सीधे सशस्त्र बलों तक पहुंचा सकेंगे।
मुख्य संगोष्ठी में तकनीकी संगोष्ठियों, पैनल चर्चाओं, विचार विमर्श सत्रों और नवाचार प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा। प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों और प्रदर्शनियों की समीक्षा संबंधित सेवा क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी। जो प्रविष्टियाँ उत्कृष्ट सिद्ध होंगी, उन्हें चयनित कर सशस्त्र बलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रत्यक्ष संवाद के लिए आमंत्रित किया जाएगा और वे संगोष्ठी के प्रदर्शनी क्षेत्र में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएंगी।
समापन सत्र के दौरान सबसे उल्लेखनीय और उपयोगी नवाचारों को मान्यता प्रदान की जाएगी और सम्मानित भी किया जाएगा, जिससे छात्रों, शिक्षाविदों और अनुसंधानकर्ताओं को और अधिक प्रेरणा मिलेगी।
यह त्रि-सेवा संगोष्ठी ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Aatmanirbhar Bharat) के दृष्टिकोण के अनुरूप भारतीय रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने का एक दूरदर्शी कदम है। यह कार्यक्रम यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की रक्षा जरूरतों को देश के भीतर मौजूद वैज्ञानिक, तकनीकी और बौद्धिक संसाधनों से पूरा किया जा सके।
इस पहल से भारतीय सशस्त्र बलों और अकादमिक जगत के बीच एक स्थायी सहयोग का सेतु निर्मित होगा, जो न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता को गति देगा बल्कि रक्षा नीति और अनुसंधान की नई दिशा भी तय करेगा।