Black Day | 26/11 के 17 साल बाद भी सन्नाटा क्यों नहीं टूटा? कसाब की आखिरी घबराहट, राणा का सच और मुंबई की अधूरी न्याय-गाथा

Wed 26-Nov-2025,03:25 PM IST +05:30

ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

Follow Us

26/11 की 17वीं बरसी और संविधान दिवस: आतंक, न्याय और भारत की अदम्य आत्मा की कहानी
Delhi / New Delhi :

Delhi / 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 17वीं बरसी और संविधान दिवस 2025 भारत को न्याय, सुरक्षा और एकता के मूल संदेश की याद दिलाते हैं। इस लेख में कसाब की फांसी, राणा के प्रत्यर्पण, हेडली की भूमिका, मुंबई हमले की रणनीति, और आतंकवाद के खिलाफ भारत की कानूनी व संवैधानिक मजबूती का विस्तृत विश्लेषण शामिल है। संविधान दिवस के महत्व, राष्ट्रीय थीम 2025 के अर्थ और 26/11 के बीच गहरे संबंध को समझाया गया है। यह रिपोर्ट सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई, न्याय प्रणाली और भारत की अदम्य आत्मा को सशक्त रूप में प्रस्तुत करती है।

1. भूमिका: दो तारीखें, एक गहरा संदेश

26 नवंबर—भारतीय इतिहास की दो बेहद महत्वपूर्ण घटनाओं को जोड़ने वाली तारीख।
एक ओर, संविधान दिवस, जो भारत की आत्मा, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे मूल्यों का उत्सव है।
दूसरी ओर, 26/11 मुंबई आतंकी हमला, जिसने इन मूल्यों को चुनौती दी, देश की सुरक्षा, साहस और एकता की परीक्षा ली।

दोनों घटनाएं, भले ही अलग प्रकृति की हों, पर एक गहरा संदेश देती हैं—
भारत का संविधान हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ताकत देता है, और भारत की सुरक्षा एजेंसियों का साहस संविधान की मूल भावना को बचाए रखता है।

17 साल बीत चुके हैं, लेकिन 26/11 की भयावह यादें आज भी देश की आत्मा को झकझोर देती हैं।

2. 26/11 का आतंक: मौत का नंगा नाच और एक रात जिसने भारत को बदल दिया

26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को युद्धभूमि बना दिया।
ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस, CST स्टेशन—हर जगह गोलियों की आवाजें थीं, हर जगह खौफ था।

इस हमले में 166 निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
भारत के बहादुर अधिकारी—हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, अशोक काम्टे—हमले रोकते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

कमांडो की कार्रवाई 29 नवंबर तक चली।
नौ आतंकी मार गिराए गए, एक बचा—अजमल कसाब।

3. कसाब की गिरफ्तारी से फांसी तक: अंतिम रात की दहशत

कसाब भारत के इतिहास का सबसे कुख्यात नाम बन चुका था।
उसकी गिरफ्तारी के चार साल बाद, 21 नवंबर 2012 को उसे यरवदा जेल में फांसी दी गई।

कसाब के अंतिम 24 घंटे — डर, अपराधबोध और टूटता हुआ हौसला

• रात 1 बजे: कसाब सोने चला गया, शायद उसे अंदाजा था कि अगली सुबह सूरज उसके लिए नहीं उगेगा।
• सुबह 4 बजे: गार्ड उसे उठाने आए, प्रार्थना करने को कहा—उसने मना कर दिया।

सिर्फ दो कप चाय पी।

• सुबह 6:30 बजे: फांसी वाली जगह पर ले जाया गया।
एक बार फिर बोला—
“साहब, एक बार माफ कर दो। ऐसी गलती नहीं होगी।”

• सुबह 7:24 बजे: उसका चेहरा ढका गया, हाथ-पैर बांधे गए।
जब गले में फंदा डाला गया, वह जोर से बोला—
“अल्लाह मुझे माफ करे।”

• सुबह 7:30 बजे: कसाब को फांसी दे दी गई।

फांसी के बाद, भारत की धरती में ही उसे दफन कर दिया गया।

यह कहानी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की न्याय प्रणाली और उसकी दृढ़ता को दिखाती है—
आतंक कितना भी बड़ा क्यों न हो, न्याय उससे बड़ा है।

4. ताहवुर हुसैन राणा: 26/11 के पीछे छिपी बड़ी साजिश

64 वर्षीय ताहवुर हुसैन राणा—एक डॉक्टर, इमिग्रेशन कंपनी का मालिक और हेडली का सबसे भरोसेमंद व्यक्ति।

अमेरिकी एजेंसियों और भारतीय जांच में यह साफ हुआ कि—
राणा हेडली और ISI के बीच पुल था।

उसकी कंपनी “First World Immigration Services” की मुंबई शाखा से हेडली ने—
• ताज होटल
• नरीमन हाउस
• ओबेरॉय
• अन्य रणनीतिक जगहों की रेकी की।

राणा 11 से 21 नवंबर 2008 को मुंबई के एक फाइव-स्टार होटल में रहा— यानी हमले से ठीक पहले।

अमेरिका में राणा की कानूनी लड़ाई 2023 से 2024 तक चली।
अंततः राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा— “हम राणा को भारत भेज रहे हैं ताकि वह न्याय का सामना करे।”

राणा का 2025 में भारत प्रत्यर्पण संविधान और न्याय की जीत है।

5. संविधान दिवस और 26/11 का गहरा संबंध

26 नवंबर को भारत ने 1949 में संविधान अपनाया।
26 नवंबर को ही मुंबई ने आतंक का सबसे दर्दनाक हमला सहा।

यह संयोग नहीं—यह संदेश है।
संविधान भारत का सबसे बड़ा हथियार है।
26/11 ने संविधान के अनुच्छेद 21—
“जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार”
को चुनौती दी।

लेकिन इसी संविधान के तहत—
• NIA का गठन हुआ (2009)
• सुरक्षा कानून मजबूत हुए
• तटीय सुरक्षा, NSG की तैनाती और खुफिया तंत्र सुधारा गया

PM मोदी ने कहा था—
“संविधान हमें आतंकवाद से लड़ने की शक्ति देता है।”

6. आज मुंबई—घाव भरे, पर यादें जिंदा

17 साल बाद, आज—
• ताज और ओबेरॉय होटल फिर भव्यता से खड़े हैं
• नरीमन हाउस को Nariman Light House नाम से मेमोरियल बना दिया गया
• हर साल “26/11 Stories of Strength” कार्यक्रम आयोजित होता है

घाव भले भर गए हों, पर कहानी आज भी दिल को हिला देती है।

7. 17 साल बाद भी अधूरे सवाल

क्या पाकिस्तान ने दोषियों को सज़ा दी?
—नहीं।

क्या हेडली को कभी भारत में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा?
—संभावना कम।

क्या राणा का प्रत्यर्पण बदलाव लाएगा?
—हाँ, यह बड़ी सफलता है।

क्या 166 परिवारों को न्याय मिल गया?
—आंशिक रूप से, पूरी तरह नहीं।

8. संविधान दिवस 2025 का थीम: "न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व"

यह थीम किसी खुशहाल उत्सव का नहीं, बल्कि एक गहरे संकल्प का संदेश देती है—
भारत आतंकवाद के आगे झुकने वाला नहीं।

संविधान हमें यह वादा देता है—
“हम एकजुट रहेंगे, न्याय करेंगे और अपने नागरिकों की रक्षा करेंगे।”

9. निष्कर्ष: 26/11 और संविधान—एक राष्ट्रीय चेतना

26 नवंबर हमें दो संदेश देता है—
• एक, भारत का संविधान हमारी ताकत है।
• दूसरा, भारत अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए हर सीमा तक जा सकता है।

यह दिन भारत की आत्मा का दिन है—
जहाँ लोकतंत्र और साहस दोनों एक साथ खड़े मिलते हैं।

नमन—166 शहीदों को।
नमन—उन बहादुरों को जिन्होंने हमें बचाया।
नमन—भारत के संविधान को, जो हमें सुरक्षित रखता है।

Read Also: Samvidhan Diwas | राष्ट्रीय संविधान दिवस 2025: क्यों है यह दिन भारत के हर नागरिक के लिए इतना खास?

https://www.agcnnnews.com/Article-Special-Report-Samvidhan-Diwas--raashtreey-snvidhaan-divs-2025-kyon-hai-yh-din-bhaart-ke-hr-naagrik-ke-lie-itnaa-khaas-2247