Udupi Krishna Math Visit : पीएम मोदी ने गीता संदेश और भक्ति साधना के महत्व पर दिया जोर

Fri 28-Nov-2025,08:39 PM IST +05:30

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Udupi Krishna Math Visit :  पीएम मोदी ने गीता संदेश और भक्ति साधना के महत्व पर दिया जोर
  • उडुपी श्री कृष्ण मठ में प्रधानमंत्री मोदी ने दर्शन, पूजा और गीता पारायण में भाग लेते हुए गीता के जीवन–सम्बंधी संदेशों को रेखांकित किया।

  • पीएम ने कहा कि उडुपी ने सुशासन मॉडल, राम मंदिर आंदोलन और भारतीय सांस्कृतिक चेतना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

  • मोदी ने बताया कि कलयुग में भगवान हरि के नाम का स्मरण सर्वोच्च साधना है और गीता राष्ट्र-नीति के लिए भी मार्गदर्शक है।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के उडुपी स्थित प्रतिष्ठित श्री कृष्ण मठ में दर्शन और पूजा-अर्चना कर देश भर के भक्तों को आध्यात्मिक संदेश दिया। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने लक्ष कंठ गीता पारायण कार्यक्रम को भी संबोधित किया, जहां हजारों श्रद्धालु और संतों की उपस्थिति में गीता ज्ञान का महत्व पुनः रेखांकित किया गया।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि उडुपी की यह पवित्र भूमि इतिहास, भक्ति और भारतीय दर्शन की अनमोल धरोहर है। उन्होंने कहा कि गुजरात और उडुपी के बीच सदियों से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के सुशासन मॉडल की प्रेरणा का एक बड़ा हिस्सा इसी धरती से निकला है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि उडुपी हमेशा से गीता अध्ययन और संत परंपरा का केंद्र रहा है। यहां शताब्दियों से गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि यह भूमि न केवल भक्तों के लिए प्रेरणास्थल है, बल्कि देश के लिए भी आध्यात्मिक दिशा दर्शक है। उन्होंने हाल में अयोध्या में हुए ध्वजारोहण समारोह का उल्लेख करते हुए कहा कि उडुपी ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी वह इस भूमि पर आते हैं, उन्हें एक अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

पीएम मोदी ने रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि कलयुग में भगवान हरि के नाम का स्मरण और भक्ति ही सर्वोच्च साधना है। उन्होंने कहा कि इस युग में भगवान के नाम, लीलाओं और भक्ति मार्ग पर चलना जीवन को सरल, शांत और सार्थक बनाता है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भगवद गीता के संदेशों को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि गीता केवल आध्यात्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन और राष्ट्र नीति का मार्गदर्शक है। भगवान कृष्ण ने युद्धभूमि में अर्जुन को स्पष्ट शब्दों में बताया कि शांति, सत्य और धर्म की स्थापना के लिए कभी-कभी अत्याचारियों का दमन आवश्यक होता है।

उन्होंने कहा कि आज भारत भी इसी पथ पर आगे बढ़ रहा है जहां सत्य, कर्तव्य और न्याय सर्वोच्च हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की नीतियों में भी गीता के सिद्धांतों की झलक दिखाई देती है, कर्मयोग, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन। कार्यक्रम में उपस्थित संतों और विद्वानों ने भी उडुपी की आध्यात्मिक धरोहर और गीता पारायण की परंपरा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन सामूहिक गीता पाठ और मंगल आरती के साथ हुआ।