भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा मानव-पर्यावरण विषय पर श्री गोपाल आर्य का राष्ट्रीय व्याख्यान 28 नवंबर को

Fri 28-Nov-2025,03:20 PM IST +05:30

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भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा मानव-पर्यावरण विषय पर श्री गोपाल आर्य का राष्ट्रीय व्याख्यान 28 नवंबर को
  • भारत नीति प्रतिष्ठान मानव और पर्यावरण विषय पर राष्ट्रीय स्तर का व्याख्यान आयोजित कर रहा है, मुख्य वक्ता गोपाल आर्य मानव-प्रकृति संबंध, पारंपरिक संरक्षण मॉडल और सामुदायिक सहभागिता की भूमिका पर विस्तृत विचार प्रस्तुत करेंगे।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली। भारत नीति प्रतिष्ठान (India Policy Foundation) द्वारा “मानव और पर्यावरण” विषय पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण व्याख्यान और संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देशभर के पर्यावरण विशेषज्ञ, शोधकर्ता और नीति-निर्माता शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे श्री गोपाल आर्य, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पर्यावरण विभाग के अखिल भारतीय संयोजक हैं।

यह आयोजन शुक्रवार, 28 नवंबर 2025 को रखा गया है। कार्यक्रम का शुभारंभ शाम 4 बजे चाय के साथ होगा, जबकि 4:30 बजे व्याख्यान की औपचारिक शुरुआत की जाएगी। इस आयोजन का स्थल है- कॉन्फ्रेंस हॉल, लघु उद्योग भारती, 48 दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली।

कार्यक्रम का उद्देश्य तेजी से बदलते पर्यावरणीय परिदृश्य, मानव जीवन पर उसके प्रभाव, और समाधान आधारित नीति-निर्माण पर व्यापक चर्चा करना है। भारत नीति प्रतिष्ठान का मानना है कि पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सहभागिता के माध्यम से ही संभव है। विशेषज्ञों के अनुसार, पर्यावरण संरक्षण में सामुदायिक भूमिका और व्यवहारिक परिवर्तन सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं।

दिल्ली के बाहर रहने वाले प्रतिभागियों और शोधार्थियों के लिए Google Meet के माध्यम से ऑनलाइन जुड़ने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे यह आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता सुनिश्चित करेगा। ऑनलाइन भागीदारी का लिंक यह है-
https://meet.google.com/fey-njyj-veb (शाम 4:30 से)।

कार्यक्रम के निवेदक हैं- डॉ. कुलदीप रतनू, निदेशक, भारत नीति प्रतिष्ठान। उनका कहना है कि यह व्याख्यान केवल एक शैक्षणिक चर्चा नहीं, बल्कि आने वाले समय की पर्यावरणीय नीति दिशा तय करने वाले विचारों का संगम होगा।

पर्यावरण और मनुष्य के संबंधों पर केंद्रित यह कार्यक्रम उस समय हो रहा है जब देश जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैव विविधता हानि और प्राकृतिक संसाधनों के असंतुलन जैसे गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है। ऐसे में, इस संवाद का महत्व और भी बढ़ जाता है।