बरेली ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद: 81 गिरफ़्तारी, डॉ. नफ़ीस समेत साज़िशकर्ता बेनक़ाब
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बरेली हिंसा में 81 आरोपियों की गिरफ्तारी.
डॉ. नफ़ीस मुख्य साज़िशकर्ता के रूप में गिरफ्तार.
बंगाल-बिहार से बाहरी लोगों की संलिप्तता उजागर.
Jammu / उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद को लेकर फैली हिंसा ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इस मामले में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं और अब तक कुल 81 आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस का दावा है कि हिंसा की योजना पहले से ही बनाई गई थी और इसमें बाहर के राज्यों से भी लोगों को शामिल किया गया था।
घटना का पृष्ठभूमि
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर ‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर कुछ संदेश प्रसारित हुए। इसके बाद बरेली के आज़मनगर क्षेत्र में तनाव बढ़ने लगा और हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। पथराव और उपद्रव की घटनाओं में कई लोग घायल हुए और इलाके में भारी तनाव का माहौल बन गया।
साज़िश का पर्दाफाश
जांच में सामने आया है कि इस हिंसा के पीछे सुनियोजित साज़िश रची गई थी। सूत्रों के अनुसार, हिंसा की योजना 19 सितंबर से ही बननी शुरू हो गई थी। सोशल मीडिया पर गुपचुप तरीके से संदेश फैलाए गए और दंगाइयों को इकट्ठा किया गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मौलाना तौकीर रज़ा के करीबी डॉ. नफ़ीस को इस साजिश का मुख्य संचालक बताया गया है। वह न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि बाहरी राज्यों से लोगों को बुलाने में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा था। रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि बंगाल और बिहार के तीन लोग इस हिंसा में शामिल थे।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए इलाके में कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी।
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अब तक 81 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
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उपद्रवियों की पहचान के लिए वीडियो फुटेज और सीसीटीवी का सहारा लिया जा रहा है।
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मुख्य आरोपियों की संपत्तियों को सील कर दिया गया है, जिसमें एक दो मंजिला दुकान भी शामिल है।
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हिंसा में शामिल लोगों के घरों पर ताले लटके हुए हैं, जिससे स्पष्ट है कि कई लोग गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गए हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और हाई अलर्ट
स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए बरेली पुलिस और जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं।
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शहर में हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
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जुमे की नमाज़ पर खास निगरानी रखने का आदेश दिया गया है।
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सीआरपीएफ, पीएसी और अर्धसैनिक बल की 10 कंपनियों को तैनात किया गया है।
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पुलिस फ्लैग मार्च और पैदल गश्त लगातार कर रही है।
डीआईजी बरेली ए.के. साहनी ने कहा कि “स्थिति पूरी तरह सामान्य है और हम सभी पक्षों से बातचीत कर रहे हैं।”
बड़ा सवाल
यह विवाद केवल एक नारे या संदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सुनियोजित हिंसा में बदल गया। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी साज़िश को पहले से क्यों नहीं पकड़ा गया? सोशल मीडिया पर प्रसारित संदेशों को मॉनिटर करने में खामी क्यों रही?
निष्कर्ष
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक भावनाओं के नाम पर हिंसा भड़काना कितनी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। पुलिस और प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए दंगाइयों को पकड़ने और साजिशकर्ताओं को बेनकाब करने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन असली चुनौती यह है कि ऐसी घटनाओं को भविष्य में कैसे रोका जाए। लोगों से शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील की गई है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की तैयारी है।
यह मामला अब सिर्फ बरेली का नहीं रहा, बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है कि धार्मिक नारेबाज़ी और सोशल मीडिया संदेशों को नजरअंदाज करना समाज के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।