मुज़फ्फरनगर सड़क हादसा: अस्थि विसर्जन के लिए जा रहे परिवार के 6 लोगों की दर्दनाक मौत
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मुज़फ्फरनगर हाईवे पर दर्दनाक सड़क हादसा.
हरिद्वार अस्थि विसर्जन के रास्ते में परिवार तबाह.
एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत, 1 गंभीर घायल.
हादसे का सीसीटीवी फुटेज हुआ वायरल.
Muzaffarnagar / मुज़फ्फरनगर का यह हादसा न केवल एक सड़क दुर्घटना था, बल्कि एक पूरे परिवार के सपनों और रिश्तों को पलभर में उजाड़ देने वाला दर्दनाक मंजर बन गया। बुधवार सुबह करीब 6 बजे यह हादसा पानीपत-खटीमा हाईवे के तितावी इलाके में हुआ। करनाल के फरीदपुर गांव से निकला जुनेजा परिवार हरिद्वार जा रहा था, जहां उन्हें अपने दिवंगत सदस्य महेंद्र जुनेजा की अस्थियां गंगा में विसर्जित करनी थीं। महेंद्र जुनेजा का कुछ दिन पहले कैंसर और हार्ट फेल होने से निधन हो गया था। परिवार इस दुखद घटना के बाद अंतिम संस्कार की परंपरा पूरी करने के लिए निकला था, लेकिन यात्रा बीच रास्ते में ही मौत की यात्रा में बदल गई।
हादसा तब हुआ जब परिवार की अर्टिगा कार तेज रफ्तार में एक ट्रक से टकरा गई, जो सड़क किनारे खड़ा था। टक्कर इतनी भीषण थी कि 14 फीट की कार महज 8 फीट में सिमट गई। कार में मौजूद सात लोगों में से पांच की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। केवल एक शख्स गंभीर हालत में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। मृतकों में महेंद्र जुनेजा की पत्नी मोहिनी (45), बेटा पीयूष (22), बहनें विम्मी (50) और अंजू (46), जीजा राजेंद्र (60) और ड्राइवर शिवा (24) शामिल हैं। शिवा का परिवार भी गहरे सदमे में है। उसकी शादी तीन साल पहले काजल से हुई थी और वह डेढ़ साल के बेटे रोनित का पिता था।
दुर्घटना का दृश्य हृदयविदारक था। जैसे ही टक्कर हुई, चीख-पुकार मच गई। आसपास के लोग दौड़कर मौके पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस को खबर दी और बड़ी मुश्किल से कार में फंसे लोगों को बाहर निकाला। लेकिन ज़्यादातर लोग दम तोड़ चुके थे। घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें साफ दिखता है कि खड़े ट्रक में तेज रफ्तार कार पीछे से घुस गई। हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कार का अगला हिस्सा पूरी तरह पिचककर ड्राइवर की सीट तक दब गया।
इस दर्दनाक घटना ने दो परिवारों को तबाह कर दिया। महेंद्र जुनेजा के परिजन पहले ही उनके निधन से टूटे थे, अब उनकी पत्नी, बेटा और बहनों के खोने का दुख और गहरा हो गया। वहीं, ड्राइवर शिवा का परिवार भी अपने बेटे और पति की असमय मौत से सदमे में है। बताया गया कि शिवा पिछली रात हिमाचल के ज्वालाजी मंदिर से दर्शन करके लौटा था। उसने कहा भी था कि वह हरिद्वार जाने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन कार मालिक के आग्रह पर उसे यात्रा करनी पड़ी। दुर्भाग्यवश, यही यात्रा उसकी जिंदगी की आखिरी साबित हुई।
हादसे के बाद ब्रेजा गाड़ी में पीछे आ रहे अन्य परिजनों ने जो दृश्य देखा, वह दिल दहला देने वाला था। महेंद्र की बहन मंजू शव से लिपटकर रोने लगी और उसे उठाने की कोशिश करने लगी। वहां मौजूद लोगों ने उसे समझाया और शांत किया। लेकिन उस समय का दर्द और मातम शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
मुज़फ्फरनगर का यह हादसा सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों की लापरवाही का एक और उदाहरण है। सवाल यह उठता है कि हाईवे किनारे खड़े ट्रकों पर कड़ी निगरानी क्यों नहीं होती? क्यों तेज रफ्तार वाहन चालक सावधानी नहीं बरतते? यह त्रासदी हमें याद दिलाती है कि सड़क पर जरा सी चूक कई जिंदगियों को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है।
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। एक ही झटके में रिश्ते, सपने और जीवन समाप्त हो सकते हैं। जुनेजा परिवार और शिवा के परिवार की इस पीड़ा को समझना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो कभी भी हाईवे पर यात्रा करता है। सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लेना अब सिर्फ विकल्प नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा का सबसे बड़ा आधार है।