लद्दाख में सोनम वांगचुक पर सीबीआई जांच: विदेशी फंडिंग, छठी अनुसूची और पाकिस्तान कनेक्शन
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सोनम वांगचुक पर विदेशी फंडिंग जांच.
HIAL का भूमि आवंटन रद्द विवाद.
पाकिस्तान यात्रा से जुड़ा नया एंगल.
Ladakh / लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे प्रसिद्ध क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की मुश्किलें हाल के दिनों में काफी बढ़ गई हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पिछले दो महीनों से वांगचुक के संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) की जांच कर रहा है। यह जांच विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के संदर्भ में की जा रही है। हालांकि अब तक सीबीआई ने न तो कोई प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की है और न ही नियमित मामला दर्ज हुआ है, लेकिन एजेंसी द्वारा दस्तावेजों और गतिविधियों की गहन समीक्षा जारी है।
पाकिस्तान यात्रा और विवाद का नया मोड़
मामले में एक नया मोड़ उस समय आया जब यह खुलासा हुआ कि सोनम वांगचुक ने 6 फरवरी को पाकिस्तान की यात्रा की थी। इस यात्रा के बाद सीबीआई और अन्य एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं कि कहीं इसका संबंध विदेशी फंडिंग और आंदोलन को हवा देने से तो नहीं है। केंद्र सरकार के अनुसार, लद्दाख में हाल के दिनों में हुए हिंसक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में वांगचुक की गतिविधियों की अहम भूमिका रही है।
भूमि आवंटन विवाद और HIAL पर सवाल
अगस्त 2025 में लद्दाख प्रशासन ने HIAL को दी गई भूमि का आवंटन रद्द कर दिया था। प्रशासन का कहना था कि भूमि का उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं किया गया जिसके लिए इसे मूल रूप से आवंटित किया गया था और इसके लिए कोई औपचारिक पट्टा समझौता भी नहीं किया गया था। इस फैसले के बाद वांगचुक के संस्थान पर गंभीर सवाल उठे और अब सीबीआई इसी संदर्भ में जांच को आगे बढ़ा रही है।
केंद्र सरकार का रुख और छठी अनुसूची विवाद
लेह और कारगिल में हाल ही में छठी अनुसूची को लागू करने और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन तेज हुआ। 10 सितंबर 2025 को वांगचुक ने इस मुद्दे पर भूख हड़ताल शुरू की थी। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि इन्हीं मुद्दों पर पहले से ही लेह-कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ बातचीत जारी है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, उच्चाधिकार प्राप्त समिति और उप-समिति के औपचारिक व अनौपचारिक माध्यमों से कई बैठकें की गईं और इसमें ठोस प्रगति भी हुई।
सरकार का दावा है कि बातचीत के परिणामस्वरूप लद्दाख अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% किया गया, परिषदों में एक-तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षण दिया गया, साथ ही भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक भाषा घोषित किया गया। इसके अलावा, 1800 से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है।
राजनीतिक मकसद और असंतोष
गृह मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग राजनीतिक कारणों से इस प्रगति से असंतुष्ट थे और जानबूझकर आंदोलन को हिंसक रूप देने की कोशिश की गई। मंत्रालय का कहना है कि सोनम वांगचुक जैसे कार्यकर्ता इस असंतोष को बढ़ावा दे रहे हैं और इससे क्षेत्र में अशांति फैल रही है।
निष्कर्ष
लद्दाख में छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य का दर्जा लंबे समय से लोगों की मांग रही है, लेकिन अब यह मुद्दा राजनीतिक और कानूनी विवादों में उलझता जा रहा है। सीबीआई की जांच, विदेशी फंडिंग पर सवाल, पाकिस्तान यात्रा और भूमि विवाद ने सोनम वांगचुक की छवि को चुनौतीपूर्ण मोड़ पर खड़ा कर दिया है। आने वाले समय में सीबीआई की रिपोर्ट और सरकार की नीतियां तय करेंगी कि यह आंदोलन किस दिशा में आगे बढ़ेगा।