प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा : भाजपा के शिखर पुरुष का अवसान
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प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा का 93 वर्ष की आयु में निधन.
भाजपा दिल्ली के पहले प्रदेश अध्यक्ष और पांच बार सांसद रहे.
1999 में मनमोहन सिंह को हराकर रची ऐतिहासिक जीत.
शिक्षा, खेल और राजनीति में अमिट योगदान.
Delhi / भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली इकाई के पहले अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा का मंगलवार सुबह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। 93 वर्षीय मल्होत्रा लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और बीते कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थे। उनके निधन की खबर ने भाजपा समेत पूरे राजनीतिक हलक़े को गहरे शोक में डूबो दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया और उन्हें भारतीय राजनीति का आदर्श व्यक्तित्व बताया।
मल्होत्रा का पार्थिव शरीर सुबह लगभग 8:45 बजे उनके आधिकारिक आवास 21, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। भाजपा कार्यकर्ताओं, समर्थकों और राजनीतिक हस्तियों का तांता लगा रहा।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को ब्रिटिश भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता कविराज खजान चंद एक प्रतिष्ठित परिवार से थे। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया। बचपन से ही प्रतिभाशाली मल्होत्रा ने गणित में गहरी रुचि दिखाई और मात्र 18 वर्ष की आयु में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने लाहौर के डीएवी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद हिंदी साहित्य में पीएचडी कर उन्होंने शिक्षा जगत में अपनी पहचान बनाई। राजनीति में सक्रिय होने से पहले वे अध्यापन कार्य से जुड़े रहे।
राजनीति में प्रवेश
मल्होत्रा का राजनीतिक सफर 1950 के दशक में भारतीय जनसंघ से शुरू हुआ। वे शीघ्र ही संगठन में सक्रिय हो गए और 1972 से 1975 तक दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष रहे। आपातकाल के कठिन दौर में उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1977 में जनता पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष बने और 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद वे दिल्ली के पहले प्रदेश अध्यक्ष बने।
उनका राजनीतिक करियर अनेक स्वर्णिम उपलब्धियों से भरा रहा। वे पांच बार सांसद और दो बार विधायक चुने गए। 1967 में उन्हें दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल का चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर (मुख्यमंत्री समकक्ष) बनाया गया। उस दौरान उन्होंने शहरी विकास और बुनियादी ढांचे को लेकर उल्लेखनीय कार्य किए।
संसदीय और मंत्री पद की भूमिका
1990 के दशक में वे दक्षिण दिल्ली से सांसद बने और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्य मंत्री रहे। 1999 का लोकसभा चुनाव उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक सफलता थी, जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह जीत भाजपा के लिए दिल्ली की राजनीति में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। 2004 में वे दिल्ली की सात सीटों में से अकेले भाजपा सांसद चुने गए। विधानसभा में उन्होंने ग्रेटर कैलाश से चुनाव जीता और विपक्ष के नेता के रूप में शीला दीक्षित सरकार को चुनौती दी।
2008 में उन्हें भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। हालांकि पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी, लेकिन उन्होंने भाजपा को मजबूत संगठन के रूप में खड़ा किया।
संगठन और विचारधारा
अटल-अडवाणी युग में मल्होत्रा भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को दिल्ली के कोने-कोने तक पहुंचाया। संविधान के गहन ज्ञाता और बहसों के उत्कृष्ट वक्ता के रूप में संसद में उनकी विशेष पहचान रही। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के समय वे दिल्ली भाजपा के चुनाव अभियान प्रमुख रहे और पार्टी को सातों सीटें जिताने में अहम भूमिका निभाई।
खेल और सामाजिक कार्य
राजनीति के अलावा मल्होत्रा खेल प्रशासन में भी सक्रिय रहे। उन्होंने दिल्ली में शतरंज और धनुर्विद्या जैसे खेलों को प्रोत्साहित किया। 2015 में उन्हें ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ स्पोर्ट्स का चेयरमैन बनाया गया और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला। सामाजिक और शैक्षिक कार्यों में भी उनकी गहरी रुचि थी।
निधन पर शोक
मंगलवार सुबह उनके निधन की खबर मिलते ही शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिल्ली में भाजपा को खड़ा करने में मल्होत्रा का योगदान अविस्मरणीय है। अमित शाह ने उन्हें जनसंघ से भाजपा तक संगठन का सच्चा सिपाही बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वे संविधान के ज्ञाता और प्रखर सांसद थे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सच्चदेवा ने उन्हें सादगी और सेवा का प्रतीक करार दिया, जबकि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उन्हें कार्यकर्ताओं का संरक्षक बताया।
निष्कर्ष
प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन सादगी, समर्पण और सेवा का उदाहरण है। उन्होंने राजनीति, शिक्षा, खेल और समाज सेवा के क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी। उनकी विद्वता, संगठन कौशल और सादगीपूर्ण जीवन शैली ने भाजपा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके निधन से भाजपा और देश की राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। उनका योगदान हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।