Allahabad University : छात्रों की भूख हड़ताल और बढ़ते विरोध के बीच प्रशासन ने निलंबन वापस लिया, चीफ प्रॉक्टर ने दिया इस्तीफ़ा
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छात्रों की भूख हड़ताल और बढ़ते विरोध के बीच प्रशासन ने निलंबन वापस लिया, जिससे चीफ प्रॉक्टर नाराज़ हुए। प्रो. राकेश सिंह ने निलंबन निरस्त किए जाने का विरोध करते हुए कुलपति को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफ़ा भेजा।
इलाहाबाद/ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के बढ़ते आंदोलन का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। कई दिनों से जारी विरोध-प्रदर्शन, भूख हड़ताल और छात्र संगठनों की सक्रियता के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन बैकफुट पर आता नजर आया। इसी घटनाक्रम के बाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर राकेश सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन द्वारा निलंबित छात्रों का सस्पेंशन वापस लेने के फैसले से प्रो. सिंह बेहद नाराज़ थे। उनका मानना था कि जिन छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है, उसे वापस लेना प्रशासनिक मजबूरी तो हो सकता है, लेकिन विश्वविद्यालय की अनुशासन व्यवस्था के लिए सही संदेश नहीं देता। निलंबन निरस्त किए जाने के बाद प्रो. सिंह ने कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव को व्यक्तिगत रूप से अपना इस्तीफा भेज दिया। हालाँकि उसका औपचारिक प्रस्तुतिकरण बुधवार को किया जाएगा।
छात्र आंदोलन ने मंगलवार को उस समय गति पकड़ी जब दिशा छात्र संगठन, आइसा, सपा छात्र सभा और अन्य समूहों के कार्यकर्ता पाँच से छह छात्रों के भूख हड़ताल पर बैठने के समर्थन में इकट्ठे हो गए। देर शाम विश्वविद्यालय प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए एडीएम सिटी सत्यम मिश्रा, कुलसचिव प्रो. आशीष कुमार खरे, डीएसडब्ल्यू प्रो. एनके शुक्ला और एसीपी को मौके पर भेजना पड़ा। प्रशासन ने निलंबित छात्रों संजय, निधि, सौम्या और चंद्रप्रकाश का निलंबन वापस लेने का आश्वासन दिया।
आंदोलन ने तब और जोर पकड़ा जब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह देर रात परिसर पहुँचे और छात्रों की माँगों का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को सदन में उठाएँगे।
क्या है पूरा विवाद?
फैज अहमद फैज की स्मृति दिवस पर दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय परिसर में कविता पाठ आयोजित करना चाहते थे। इस कार्यक्रम की अनुमति के लिए वे चीफ प्रॉक्टर कार्यालय पहुँचे थे। छात्रों का आरोप है कि अनुमति के दौरान विवाद हुआ और चीफ प्रॉक्टर प्रो. राकेश सिंह तथा सहायक चीफ प्रॉक्टर अतुल नारायण सिंह ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इसी घटना के बाद तनाव बढ़ता गया और मामले ने विश्वविद्यालय-व्यापी आंदोलन का रूप ले लिया।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र असंतोष को शांत करने के दबाव में है। वहीं, चीफ प्रॉक्टर द्वारा दिया गया इस्तीफा आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय की राजनीति और छात्र-प्रशासन संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।