एनईपी 2020: कक्षाओं से क्रिएशन लैब्स तक नवाचार की नई शुरुआत स्कूलों में
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NEP 2020 के तहत स्कूलों में क्रिएशन लैब्स और अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना से बच्चों में विज्ञान, तकनीक और नवाचार कौशल तेजी से विकसित हो रहे हैं।
नई शिक्षा नीति समस्या-आधारित सीखने, कोडिंग और AI प्रशिक्षण को कक्षा VI से अनिवार्य बनाकर भविष्य की टेक-ड्रिवन नौकरियों के लिए छात्रों को तैयार कर रही है।
ग्रामीण एवं सरकारी स्कूलों में नवाचार केंद्रों और डिजिटल लैब्स का विस्तार करके NEP 2020 शिक्षा में समानता और आधुनिक तकनीकी पहुंच को बढ़ा रहा है।
नई दिल्ली/ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था की दिशा को पूरी तरह बदलने वाले कदमों में से एक महत्वपूर्ण कदम यह भी उठाया है कि विद्यालय स्तर पर ही नवाचार, रचनात्मकता और प्रायोगिक अधिगम को बढ़ावा दिया जाए। लंबे समय तक हमारे स्कूलों में पढ़ाई का ढांचा केवल किताब, कॉपी और परीक्षा के इर्द-गिर्द घूमता था, जिसमें बच्चे अवधारणाएँ तो सीखते थे, लेकिन उन्हें वास्तविक जीवन में लागू करने के अवसर बहुत सीमित होते थे। एनईपी 2020 ने इसी पारंपरिक मॉडल को तोड़ते हुए ‘क्रिएशन- आधारित शिक्षा’, ‘डिज़ाइन थिंकिंग’, ‘हैंड्स-ऑन प्रोजेक्ट्स’ और ‘इनोवेशन लैब्स’ को स्कूल स्तर पर अनिवार्य रूप से जोड़ने की दिशा में बड़ा बदलाव शुरू किया है।
इस नीति का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों के सीखने के ढंग को बदलना नहीं है, बल्कि उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम, समस्या-समाधान केंद्रित, उद्यमी मानसिकता वाले और भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार नागरिक बनाना भी है। आज के वैश्विक युग में नवाचार (Innovation) केवल एक कौशल नहीं, बल्कि एक अनिवार्य क्षमता है, और इसी दिशा में भारत भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
क्यों ज़रूरी था 'क्लासरूम से क्रिएशन लैब' का बदलाव?
भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है, लेकिन लंबे समय तक शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को रटने, परीक्षा आधारित मूल्यांकन और सीमित प्रयोगशाला सुविधाओं तक ही सीमित रखा गया। परिणामस्वरूप:
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बच्चे नई चीज़ बनाने की बजाय केवल याद की हुई जानकारी पर निर्भर रहे
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व्यावहारिक ज्ञान और सृजनात्मक सोच को सीमित महत्व मिला
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उद्योगों की जरूरतें और स्कूल शिक्षा के कौशलों के बीच भारी अंतर था
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कई प्रतिभाशाली बच्चे उचित मंच न मिलने पर तकनीकी नवाचारों में पीछे रह गए
एनईपी 2020 ने इस अंतर को भरने के लिए स्कूल सिस्टम को उद्योग-उन्मुख, कौशल-आधारित और इनोवेशन-ड्रिवन बनाने की शुरुआत की है ताकि बच्चे केवल उपभोक्ता न बनें, बल्कि भविष्य के युवा इनोवेटर और निर्माता भी बनें।
क्रिएशन लैब्स: नई पीढ़ी के लिए नई प्रयोगशालाएँ
एनईपी 2020 के तहत स्कूलों में “Creation Labs”, “Innovation Labs” और “Tinkering Labs” की स्थापना को बढ़ावा दिया गया है। इसका उद्देश्य सरल है-
बच्चा सीखेगा वही, जो वह करके देखेगा।
इन लैब्स की विशेषताएँ:
1. STEM आधारित अधिगम
साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स को वास्तविक प्रोजेक्ट्स से जोड़कर सिखाया जाता है।
बच्चे अपने हाथों से रोबोट बनाते हैं, सेंसर मॉडल तैयार करते हैं, मशीनों की कार्यप्रणाली समझते हैं, आदि।
2. अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL) का विस्तार
नीति के बाद 10,000 से अधिक ATL स्थापित हो चुके हैं। इन लैबों में बच्चे -
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3D प्रिंटर
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रोबोटिक्स किट
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इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किट
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कंप्यूटिंग टूल्स
का प्रयोग करके खुद मॉडल विकसित करते हैं।
3. क्रिएटिव आर्ट्स एवं डिज़ाइन लैब्स
यहां बच्चे-
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प्रोटोटाइप डिजाइन
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डिजिटल आर्ट
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एनीमेशन
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आर्किटेक्चर बेसिक्स
का अभ्यास करते हैं।
4. समस्या-आधारित अधिगम (Problem Solving Model)
अब बच्चों को वास्तविक जीवन की समस्याएँ दी जाती हैं जैसे-
पानी बचाओ मॉडल, ट्रैफिक मैनेजमेंट समाधान, ग्रामीण नवाचार, ऊर्जा-संचयन आदि।
शिक्षक अब केवल शिक्षक नहीं; 'इनोवेशन कोच'
एनईपी 2020 के तहत शिक्षकों को भी Innovator Training से जोड़ने की व्यवस्था की गई है।
शिक्षक अब केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि क्रिएटिव गाइड की भूमिका निभाते हैं।
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उन्हें नई टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है
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AI-सक्षम उपकरणों के उपयोग का ज्ञान दिया जा रहा है
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प्रोजेक्ट गाइडेंस और स्टूडेंट इनोवेशन में नया रोल दिया गया है
स्कूली शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने वाले प्रमुख बदलाव
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5+3+3+4 का नया ढांचा
बच्चों को हर स्तर पर कौशल-आधारित और गतिविधि-आधारित सीखने का अवसर मिलता है। -
Coding & AI Education
छठी कक्षा से ही कोडिंग और बेसिक AI सीखने की सुविधा बढ़ाई गई है। -
Vocational Training अनिवार्य
बच्चों को कक्षा VI से ही व्यावसायिक प्रशिक्षण मिलता है –
कारपेंट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स, गार्डनिंग, फूड प्रोसेसिंग आदि। -
Holistic Progress Card
अब रिपोर्ट कार्ड में Creativity, Design Thinking, Innovation Skill और Teamwork भी शामिल।
ग्रामीण और छोटे शहरों में नवाचार को बढ़ावा
NEP 2020 ने यह सुनिश्चित किया है कि नवाचार केवल बड़े शहरों तक ही सीमित न रहे। केन्द्र सरकार ने—
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सामुदायिक नवाचार केंद्र
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जिला स्तर के मॉडल स्कूल
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सरकारी स्कूलों में डिजिटल लैब्स
स्थापित कर ग्रामीण बच्चों को भी टेक्नोलॉजी और इनोवेशन से जोड़ा है।
बच्चों पर इसका प्रभाव
नीति लागू होने के बाद कई सकारात्मक बदलाव दिखाई दिए-
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बच्चे अब रटने की बजाय बनाने में अधिक रुचि दिखाते हैं
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कक्षा में सक्रियता और प्रश्न पूछने का स्तर बढ़ा
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प्रोजेक्ट मॉडल और प्रतियोगिताओं में भागीदारी बढ़ी
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हजारों बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर के नवाचार प्रतियोगिताओं में प्रोटोटाइप प्रस्तुत किए
भारत नवाचार के क्षेत्र में तेजी से बच्चों के लिए अवसरों को बढ़ा रहा है।