रूस ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट बनाने का ऑफर, रक्षा सहयोग में बड़ा बदलाव संभव

Fri 05-Dec-2025,11:13 PM IST +05:30

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रूस ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट बनाने का ऑफर, रक्षा सहयोग में बड़ा बदलाव संभव
  • रूस ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Sukhoi-57 के भारत में निर्माण का प्रस्ताव दिया, जिससे रक्षा साझेदारी में बड़ा बदलाव आ सकता है।

  • Su-57 की स्टील्थ क्षमता और एडवांस्ड एवियोनिक्स इसे दुनिया के शीर्ष फाइटर जेट्स की श्रेणी में रखते हैं, जिससे भारत की सैन्य शक्ति बढ़ेगी। यह ऑफर अमेरिका जैसे देशों को असहज कर सकता है, क्योंकि भारत–रूस रक्षा सहयोग बढ़ने से वैश्विक रणनीतिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ रूस ने भारत को रक्षा साझेदारी के क्षेत्र में एक बड़ा और रणनीतिक प्रस्ताव दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान, रूस ने अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट सुखोई-57 (Su-57) को भारत में ही उत्पादन करने का ऑफर दिया है। इस प्रस्ताव की पुष्टि रोस्टेक के CEO ने की है। अगर यह प्रोजेक्ट भारत स्वीकार करता है, तो यह देश की रक्षा क्षमता और एयरोस्पेस सेक्टर के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

Sukhoi-57 दुनिया के सबसे उन्नत और घातक स्टील्थ युद्धक विमानों में से एक माना जाता है। इसकी रेंज, स्टील्थ क्षमता, सुपर-क्रूज़ और एवियोनिक्स इसे अमेरिका के F-35 और F-22 जैसे फाइटर विमानों की श्रेणी में खड़ा करती हैं। रूस चाहता है कि भारत इस जेट के लाइसेंस्ड प्रोडक्शन में साझेदारी करे, जिससे भारत की "मेक इन इंडिया – डिफेंस" रणनीति को बड़ी मजबूती मिलेगी।

भू-राजनीतिक लिहाज़ से यह प्रस्ताव बेहद अहम है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही भारत-रूस रक्षा साझेदारी पर सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे में Su-57 जैसी हाई-टेक्नोलॉजी डील अमेरिका को असहज कर सकती है। माना जा रहा है कि यह ऑफर भारत को रूस पर पैसिव ग्राहक के बजाय सक्रिय सहयोगी की स्थिति में लाने की कोशिश है।

भारत पहले भी FGFA (Fifth Generation Fighter Aircraft) प्रोजेक्ट में रूस के साथ जुड़ा था, लेकिन कुछ मतभेदों के चलते परियोजना आगे नहीं बढ़ सकी। नए प्रस्ताव ने इस दिशा में एक बार फिर संभावनाओं को खोल दिया है।
अब निगाहें भारत सरकार के निर्णय पर टिकी हैं, क्या भारत Su-57 का उत्पादन करेगा और दुनिया की रक्षा राजनीति में एक नई बैलेंसिंग लाइन खींचेगा?