काशी तमिल संगमम् 4.0 में आराध्य कृपा स्टार्टअप ने आध्यात्मिक विरासत व वेस्ट रीसाइक्लिंग मॉडल से देशभर का ध्यान खींचा
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मंदिरों व घाटों के पवित्र पुष्पों के पुनर्चक्रण से काशी आधारित स्टार्टअप पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिकता को आधुनिक व्यवसाय मॉडल से जोड़ रहा है।
काशी तमिल संगमम् 4.0 में स्टॉल 39 पर प्रदर्शनी ने आगंतुकों का ध्यान खींचा और सांस्कृतिक रूप से प्रेरित स्टार्टअप मॉडल पर व्यापक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
Kashi/ काशी तमिल संगमम् 4.0 के दौरान नमो घाट पर लगे स्टॉल संख्या 39 ने आगंतुकों का विशेष आकर्षण प्राप्त किया, जहां मुगलसराय स्थित काशी-आधारित स्टार्टअप नितेंद्र फ्लावरसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड (आराध्य कृपा एवं पेटल्स) ने अपने नवाचारी और आध्यात्मिक रूप से प्रेरित कार्यों का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। यह स्टार्टअप फरवरी 2024 में शुरू हुआ और कम समय में आध्यात्मिकता, पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक स्टार्टअप संस्कृति का प्रेरक उदाहरण बनकर उभरा है।
कंपनी का कार्य मॉडल पूरी तरह पुनर्चक्रण पर केंद्रित है, जिसके तहत मंदिरों और घाटों पर प्रतिदिन चढ़ने वाले पवित्र फूलों व नारियल का संग्रह किया जाता है और उन्हें प्राकृतिक धूप, अगरबत्ती व सुगंधित उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया से गंगा में जाने वाले अपशिष्ट में कमी आती है और स्थानीय समुदाय को रोजगार मिलता है। सभी उत्पाद आईएफआरए ग्रेड क्वालिटी स्टैंडर्ड्स पर आधारित होने के कारण उपभोक्ताओं के बीच प्रीमियम श्रेणी में लोकप्रिय हो रहे हैं।
इस स्टार्टअप की विशेष पहचान इसकी विविध टीम है जिसमें एमबीए पेशेवरों, कानून विशेषज्ञों, रेलवे अधिकारियों और विभिन्न उद्योगों के अनुभवी व्यक्तियों का समावेश है। कंपनी के निदेशक एवं सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी आर.एन. त्रिवेदी के अनुसार सनातन संस्कृति के प्रति साझा समर्पण ही टीम को इस परियोजना से जोड़कर रखता है। स्टॉल पर आए आगंतुकों ने उत्पादों की सुगंध और गुणवत्ता की सराहना करते हुए इन्हें ‘मन को शांत करने वाले’ और ‘पूर्णतः प्राकृतिक’ बताया।
वर्तमान में आराध्य कृपा डायरेक्ट-टु-कंज्यूमर मॉडल पर काम करते हुए 16 राज्यों में अपने उत्पाद भेज रही है और प्रतिदिन 500 से अधिक पैकेटों की बिक्री दर्ज कर रही है। ये उत्पाद ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं, जिससे देशभर के उपभोक्ता सुगमता से इन्हें खरीद पा रहे हैं।
समग्र रूप से, यह पहल काशी की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण, आध्यात्मिकता और नवाचार को एक सूत्र में पिरोते हुए ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और मजबूत कर रही है।