एमपी में नौरादेही अभ्यारण में 12 किमी लाल हाईवे, वन्यजीव सुरक्षा के लिए खास डिज़ाइन
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नौरादेही अभ्यारण के डेंजर ज़ोन में NHAI ने 12 किलोमीटर लंबी लाल रंग की हाईवे सड़क बनाई, जिसका उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा बढ़ाना है।
लाल और रंगबिरंगी सड़क ड्राइवरों को सतर्क करती है, गति कम कराती है और रात में भी बेहतर विजिबिलिटी देकर दुर्घटना जोखिम घटाती है।
नया हाईवे मॉडल सफल होने पर देशभर के अन्य वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में भी इसी प्रकार की रंग-कोडेड सड़कें लागू की जा सकती हैं।
नरसिंगपुर/ मध्य प्रदेश नरसिंगपुर इन दिनों एक अनोखी सड़क के कारण देशभर में चर्चा में है। जबलपुर-भोपाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित नौरादेही अभ्यारण जिसे अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने 12 किलोमीटर के डेंजर ज़ोन में एक ऐसी सड़क बनाई है जो अपने लाल और रंगबिरंगे स्वरूप के कारण सुर्खियां बटोर रही है। यह देश की इकलौती लाल सड़क बताई जा रही है, जिसे खास तौर पर वन्यजीव सुरक्षा को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है।
नौरादेही अभ्यारण टाइगर रिज़र्व क्षेत्र से भी जुड़ा है और यहां वन्यजीवों की गतिविधि बेहद अधिक होती है। इस वजह से सड़क के इस हिस्से को “डेंजर ज़ोन” घोषित किया गया था, जहां अक्सर वाहन और जंगली जानवरों के टकराने की घटनाएं सामने आती थीं। ऐसे में NHAI ने इस सड़क को पूरी तरह से रेड टिंटेड और कई हिस्सों में येलो-व्हाइट कलर पैटर्न के साथ तैयार किया है, ताकि वाहन चालक सतर्क हो सकें।
विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क पर लाल रंग का उपयोग ड्राइवरों में तुरंत सतर्कता पैदा करता है, जिससे वे गति कम कर देते हैं। यह रंग मनोवैज्ञानिक रूप से चेतावनी का संकेत देता है। इसके अलावा, सड़क को बनाते समय ऐसी टेक्सचरिंग भी की गई है जो वाहन की स्पीड को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित करती है। यह तकनीक विदेशों में वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के लिए पहले से प्रयोग में लाई जा रही है।
इस 12 किलोमीटर के सेक्शन में कई स्पीड कैलिब्रेशन ज़ोन, साइनेज, एनिमल क्रॉसिंग मार्किंग, और नॉन-स्किडिंग कोटिंग भी जोड़ी गई है। इससे रात के समय हेडलाइट की रोशनी सड़क के रंग को और अधिक उभारती है, जिससे चालक को तुरंत संकेत मिल जाता है कि वे संवेदनशील क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
सड़क के इस अनोखे रंगरूप ने न सिर्फ सुरक्षा बढ़ाई है, बल्कि स्थानीय लोगों और यात्रियों के लिए यह आकर्षण का केंद्र भी बन गया है। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं और लोग इसे भारत में सड़क सुरक्षा के नए प्रयोग के रूप में देख रहे हैं। NHAI के अधिकारियों का कहना है कि यदि यह मॉडल सफल साबित होता है तो जल्द ही देश के अन्य वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में भी ऐसी लाल या रंग-कोडेड सड़कें बनाई जा सकती हैं। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और वन्यजीवों की सुरक्षा भी बढ़ेगी।