केंद्र की सीआरएम सब्सिडी व बायोफ्यूल योजनाओं से पराली जलाने में भारी कमी, किसानों को बड़ा लाभ

Thu 04-Dec-2025,06:34 PM IST +05:30

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केंद्र की सीआरएम सब्सिडी व बायोफ्यूल योजनाओं से पराली जलाने में भारी कमी, किसानों को बड़ा लाभ संसद प्रश्न-सीआरएम सब्सिडी व बायोफ्यूल योजनाओं से पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 90% कमी
  • पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए किसानों को मशीनरी सब्सिडी, कस्टम हायरिंग सेंटर और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बड़े स्तर पर सहायता।

  • पंजाब और हरियाणा में 2025 में पराली जलाने की घटनाओं में 2022 की तुलना में लगभग 90% की कमी, बहु-संगीय प्रयासों की सफलता।

Delhi / New Delhi :

Delhi/ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण की पुरानी समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बहु-आयामी कदमों पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। वायु गुणवत्ता में गिरावट के कई कारणों में से एक धान की पराली जलाना है, जो कटाई के मौसम में प्रदूषण स्तर में अचानक बढ़ोतरी का प्रमुख कारक बनती है। इसी चुनौती को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना लागू की है, जिसके प्रभाव अब जमीनी स्तर पर दिख रहे हैं।

इस योजना के तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली के किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी पर 50% सब्सिडी प्रदान की जाती है, जबकि ग्रामीण उद्यमियों, किसान समितियों, एफपीओ, पंचायतों और स्वयं सहायता समूहों को कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने हेतु 80% वित्तीय सहायता दी जाती है। योजना के प्रभावी प्रबंधन के परिणामस्वरूप 2018-19 से 2025-26 के बीच अब तक 4,090.84 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, 3.45 लाख से अधिक सीआरएम मशीनें किसानों को उपलब्ध कराई गई हैं और 43,270 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप पराली प्रबंधन के विकल्प किसानों तक पहले की तुलना में अधिक सुलभ हुए हैं।

धान की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने हेतु उच्च एचपी ट्रैक्टर, बेलर, रेकर, लोडर, ग्रैबर और टेली-हैंडलर जैसी मशीनरी की पूंजीगत लागत पर 65% वित्तीय सहायता (अधिकतम 1.50 करोड़ रुपये प्रति परियोजना) भी उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं, किसानों में जागरूकता बढ़ाने के लिए राज्यों और आईसीएआर को सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) धान की पराली के औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पेलेटाइजेशन और टोरीफिकेशन संयंत्रों की स्थापना को भी प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए अधिकतम 1.4 करोड़ रुपये (पेलेट प्लांट) और अधिकतम 2.8 करोड़ रुपये (टोरीफिकेशन प्लांट) की सहायता उपलब्ध है। विद्युत मंत्रालय द्वारा कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास पेलेट्स के सह-प्रज्वलन के लिए जारी नई नीति, कृषि पराली के ऊर्जा उपयोग को नई गति दे रही है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जबकि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ‘प्रधानमंत्री जी-वन योजना’ के माध्यम से उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को बढ़ावा दिया है। इन सभी पहलों का उद्देश्य कृषि अवशेषों से किसान आय बढ़ाना और वायु प्रदूषण कम करना है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों के बाद पंजाब और हरियाणा सरकारों ने धान कटाई के मौसम में वर्ष 2022 की तुलना में 2025 में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 90% की कमी दर्ज की है, जो संयुक्त प्रयासों का महत्वपूर्ण परिणाम है। यह जानकारी राज्यसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने दी।