पुतिन की भारत यात्रा: दोस्ती, रणनीति और हाई-लेवल सुरक्षा का अहम पड़ाव
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Vladimir Putin India visit
भारत-रूस शिखर बैठक में रक्षा और व्यापार पर बड़े समझौते संभव।
पुतिन की सुरक्षा के लिए दिल्ली में मल्टी-लेयर सिक्योरिटी तैनात।
ऊर्जा, उर्वरक और FTA वार्ता इस दौरे के प्रमुख मुद्दे।
Delhi / रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के तहत 4 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली पहुंचेंगे। यह दौरा दोनों देशों के बीच दशकों से चली आ रही साझेदारी में एक नया अध्याय जोड़ने वाला माना जा रहा है। पुतिन शाम 6:40 बजे दिल्ली में लैंड करेंगे, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे मुलाकात करेंगे। उसी शाम पीएम मोदी उनके सम्मान में एक विशेष डिनर की मेज़बानी करेंगे।
पहले दिन का कार्यक्रम: दिल्ली में राजनयिक गर्मजोशी
एयरपोर्ट से निकलते ही पुतिन की पहली मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी से होगी। मुलाकात के बाद वे आईटीसी मौर्या होटल पहुंचेंगे, जहां वे रात्रि विश्राम करेंगे।
भारत और रूस के बीच 1947 से चले आ रहे संबंध आज भी कई वैश्विक संकटों में मजबूती का आधार रहे हैं। ऐसे में यह यात्रा सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि भविष्य के सहयोग को मजबूत करने का अवसर है।
दूसरे दिन की व्यस्तता: कूटनीति, व्यापार और सुरक्षा सहयोग
5 दिसंबर को पुतिन का पूरा दिन बेहद व्यस्त रहेगा।
उनका कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा:
- राष्ट्रपति भवन पहुंचकर औपचारिक स्वागत
- राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
- हैदराबाद हाउस में 23वीं भारत-रूस शिखर बैठक
- भारत मंडपम में बिजनेस लीडर्स से मुलाकात
- संभवतः शाम को राष्ट्रपति भवन में डिनर
- इसके बाद पुतिन सीधे एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे।
- दिल्ली में सुरक्षा अलर्ट: पुतिन की सुरक्षा में कोई चूक संभव नहीं
- पुतिन दुनिया के सबसे अधिक सुरक्षा पाने वाले नेताओं में शामिल हैं।
उनकी यात्रा से पहले:
- रूस की स्पेशल सिक्योरिटी टीम कई दिन पहले ही दिल्ली पहुंच चुकी है
- होटल, रास्ते, मीटिंग वेन्यू की कई परतों वाली सुरक्षा जांच
- दिल्ली पुलिस, SPG और केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त तैनाती
- लुटियंस जोन में भारी पुलिस बल और ट्रैफिक डायवर्ज़न
दिल्ली पुलिस कोशिश कर रही है कि आम लोगों को कम से कम दिक्कत हो, लेकिन सुरक्षा में कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही।
कूटनीतिक पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका संबंधों के बीच रूस की अहमियत बढ़ी
यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण माने जा रहे हैं।
इन टैरिफों में रूस से खरीदे गए सस्ते कच्चे तेल पर 25% एक्स्ट्रा शुल्क भी शामिल है।
ऐसे में रूस के साथ व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग भारत के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
रूसी प्रतिनिधिमंडल: रक्षा और व्यापार पर जोर
पुतिन के साथ रूस के:
- रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव
- कृषि मंत्री
- वित्त मंत्री
- आर्थिक विकास मंत्री
- रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के अधिकारी
- रशियन सेंट्रल बैंक के गवर्नर
सहित कुल 7 कैबिनेट मंत्री भारत आ रहे हैं।
इस दौरान 10 इंटरगर्वमेंटल और 15 कमर्शियल समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना है।
रक्षा सहयोग: S-400 और सुखोई अपग्रेड चर्चा में
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष के बीच अहम बातचीत होगी।
एजेंडे में शामिल हैं:
- S-400 मिसाइल प्रणाली की अतिरिक्त खरीद
- सुखोई-30 विमानों का अपग्रेड
- अन्य हाई-टेक रक्षा उपकरणों पर सहयोग
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 की प्रभावशीलता को देखते हुए भारत इसके नए बैच खरीदने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
व्यापारिक साझेदारी: उर्वरक, ऊर्जा और FTA पर फोकस
भारत हर साल रूस से लगभग 65 अरब डॉलर का आयात करता है, जबकि रूस भारत से केवल 5 अरब डॉलर का आयात करता है।
भारत इस व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में नई समझौतों पर काम कर सकता है।
साथ ही:
- उर्वरक सहयोग
- ऊर्जा व्यापार
- शिक्षा और कृषि में साझेदारी
- यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ FTA
जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।