हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से राहत, MP-MLA कोर्ट में पेशी की अनिवार्यता हटाई

Thu 04-Dec-2025,12:20 AM IST +05:30

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हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट से राहत, MP-MLA कोर्ट में पेशी की अनिवार्यता हटाई
  • झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन को ईडी से जुड़े मामले में MP-MLA कोर्ट की व्यक्तिगत पेशी से राहत दी। ईडी ने सोरेन पर समन की अवहेलना और जमीन घोटाले की जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया था।

  • हाई कोर्ट ने स्पेशल जज के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर पेशी की अनिवार्यता को हटाया।

Jharkhand / Ranchi :

झारखंड/ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले से जुड़े कथित कथित मामले में एक बार फिर बड़ी राहत मिली है। झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि सोरेन को रांची स्थित MP-MLA स्पेशल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने सोरेन की उस याचिका को स्वीकार किया, जिसमें उन्होंने MP-MLA कोर्ट के स्पेशल जज द्वारा दिए गए व्यक्तिगत पेशी के आदेश को चुनौती दी थी।

यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज की गई शिकायत से जुड़ा है। ईडी असिस्टेंट डायरेक्टर देवराज झा ने अपनी शिकायत में कहा था कि कथित जमीन घोटाले की जांच के दौरान सोरेन को पेश होने के लिए 10 समन जारी किए गए थे। इनमें से सोरेन केवल दो बार ही ईडी दफ्तर पहुंचे, जबकि बाकी आठ समन को उन्होंने अनदेखा कर दिया। ईडी का आरोप था कि यह "जांच में सहयोग न करने" और "समन की अवहेलना" की श्रेणी में आता है।

इस शिकायत के आधार पर ईडी ने साल 2024 में MP-MLA कोर्ट में एक औपचारिक याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान स्पेशल जज ने मुख्यमंत्री को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दे दिया। हालांकि, सोरेन ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद दिसंबर 2024 में हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए उनकी पेशी पर रोक लगा दी थी।

अब हाई कोर्ट ने अंतिम निर्णय देते हुए कहा कि MP-MLA कोर्ट में सोरेन की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक नहीं है, और मामले की कानूनी प्रक्रिया उनके वकीलों के माध्यम से भी आगे बढ़ सकती है। अदालत ने साथ ही ईडी को भी इस मामले पर नोटिस भेजकर जवाब तलब किया था।

ईडी की शिकायत की पृष्ठभूमि में कथित जमीन घोटाले का मामला है, जिसमें दावा किया गया था कि कई जमीनों के दस्तावेजों में हेरफेर कर अवैध कब्जे की कोशिशें हुईं। इस मामले की जांच लंबी अवधि से जारी है और राजनीतिक रूप से भी खूब चर्चा में रहा है। इस फैसले को सोरेन के लिए एक बड़ी कानूनी राहत माना जा रहा है, खासकर क्योंकि यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर बेहद संवेदनशील है।