अर्जुन की छाल से करें खून शुद्ध: आयुर्वेद ने बताए खास स्वास्थ्य लाभ

Thu 04-Dec-2025,01:57 AM IST +05:30

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अर्जुन की छाल से करें खून शुद्ध: आयुर्वेद ने बताए खास स्वास्थ्य लाभ
  • अर्जुन की छाल रक्त शुद्धि, हृदय स्वास्थ्य और शरीर से विषाक्त तत्व निकालने में मदद करती है, आयुर्वेद इसे प्राकृतिक रक्तशोधक मानता है।

  • अर्जुन की छाल का काढ़ा रोज़ सुबह खाली पेट पीने से ब्लड प्यूरीफिकेशन और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में प्रभावी लाभ मिलते हैं।

  • विशेषज्ञों का कहना है कि अर्जुन पाउडर रात में सेवन करने से हृदय, ब्लड प्रेशर और त्वचा संबंधी समस्याओं में सुधार दिख सकता है।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर/ अर्जुन का पेड़ भारत के आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में सदियों से हृदय, रक्त और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए वरदान माना गया है। हाल के दिनों में फिर से अर्जुन की छाल (Arjun Bark) चर्चा में है, क्योंकि विशेषज्ञों का दावा है कि इसे सही तरह से इस्तेमाल करने पर यह शरीर के खून को प्राकृतिक तरीके से शुद्ध करने में मदद कर सकती है।

अर्जुन की छाल में एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉइड्स, टैनिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं। आयुर्वेद में इसे “रक्तशोधक औषधि” कहा गया है। विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी, जो प्रदूषण, अस्वास्थ्यकर खानपान और तनाव के कारण ब्लड इम्प्योरिटी (रक्त अशुद्धि) की समस्या से जूझ रहे हैं।

कैसे करें अर्जुन की छाल का उपयोग?
अर्जुन की छाल को आमतौर पर तीन रूपों में उपयोग किया जाता है- काढ़ा, पाउडर और पानी में उबालकर। सबसे लोकप्रिय तरीका काढ़ा बनाना है। छाल को अच्छी तरह धोकर 1 गिलास पानी में उबालें जब तक यह आधा न रह जाए। इस काढ़े को सुबह खाली पेट पिया जाए तो यह रक्त से टॉक्सिन्स को तेजी से निकालता है।

अर्जुन की छाल का पाउडर रात को गर्म पानी के साथ लिया जाए तो यह रक्त शर्करा संतुलित रखने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी सहायक होता है। कई आयुर्वेद चिकित्सक इसे रोज़ाना की दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देते हैं, खासतौर पर हृदय रोगियों और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को।

क्यों ज़रूरी है रक्त को शुद्ध रखना?
रक्त में अशुद्धियाँ बढ़ने पर शरीर में थकान, त्वचा रोग, मुंहासे, एलर्जी और संक्रमण जैसी समस्याएँ होने लगती हैं। ऐसे में अर्जुन की छाल शरीर को अंदर से शुद्ध करने का सरल और सुरक्षित तरीका मानी जाती है। हालांकि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इसका प्रयोग सीमित मात्रा में ही किया जाए और किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में डॉक्टर की सलाह ज़रूर ली जाए।