ट्रेड फेयर में चमका हुनर: छोटे कारोबारियों ने दिखाया आत्मनिर्भर भारत का रूप
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IITF 2025 में 3,500+ छोटे उद्यमियों और कारीगरों ने किया सहभाग।
बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की पारंपरिक कला और ग्रामीण उद्योग रहे आकर्षण का केंद्र।
मेले ने MSME, कारीगरों और किसानों को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने का बड़ा मंच दिया।
नई दिल्ली / भारत मंडपम परिसर में आयोजित 44वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 ने इस बार छोटे कारोबारियों, ग्रामीण उद्यमियों, पारंपरिक कारीगरों और स्टार्टअप इनोवेशन को राष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाई है। “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” थीम के साथ आयोजित इस मेले में देशभर के 3,500 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। यह मंच न केवल कारोबार बढ़ाने का अवसर दे रहा है, बल्कि नए उद्यमियों के लिए सीख, संपर्क और बाजार विस्तार का महत्वपूर्ण साधन बन रहा है।
बिहार की शिल्पकला से महाराष्ट्र की जैविक खेती तक
बिहार की 45 वर्षीय श्रीधि कुमारी पहली बार अपने GI टैग वाले भागलपुरी सिल्क के साथ मेले में उतरी हैं। सरकारी योजनाओं और मार्गदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय बाजार का रास्ता दिखाया है। वहीं नालंदा के बुनकर तरुण पांडे आठवीं बार IITF में शामिल हो रहे हैं। उनकी बावनबुटी साड़ियां हर साल उन्हें दो से ढाई महीने की आय बराबर मुनाफा देती हैं।
महाराष्ट्र के Hingoli से आए किसान–उद्यमी प्रह्लाद बोरगड और उनकी पत्नी कावेरी अपने ऑर्गेनिक मसालों और उत्पादों के साथ खरीदारों का ध्यान खींच रहे हैं। IITF से उन्हें सालभर के लिए व्यापारिक नेटवर्क मिलता है। Latur की रुक्मणी सालगे की "गोधड़ी कला" भी पहली बार राष्ट्रीय मंच पर जगह बना रही है।
झारखंड के आदिवासी कारीगरों की पहचान
झारखंड थीम स्टेट के रूप में उभर रहा है, जहां जाबर माल पारंपरिक लाख की चूड़ियों को प्रस्तुत कर रहे हैं। ये चूड़ियां 400 से अधिक आदिवासी महिलाओं की आजीविका से जुड़ी हैं।
आर्थिक पारिस्थितिकी का केंद्र
IITF सिर्फ व्यापार मेले से आगे बढ़कर आर्थिक इकोसिस्टम का रूप ले चुका है, जहां छोटे उद्यमियों को बाजार की समझ, खरीदार, और भविष्य के ऑर्डर मिलते हैं। यह भारत की विकसित भारत 2047 की दिशा में बढ़ती आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की तस्वीर भी प्रस्तुत करता है।