वेतन संहिता 2019 से श्रमिक सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण और रोजगार वृद्धि को बल
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वेतन संहिता 2019 का उद्देश्य देश के सभी श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और समय पर वेतन सुनिश्चित कर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
नए प्रावधान महिलाओं को रात्रिकालीन कार्य की अनुमति, सुरक्षित कार्यस्थल और अवसरों की समानता प्रदान कर सशक्त बनाते हैं।
कोड में एकीकृत और सरल व्यवस्था उद्योगों में पारदर्शिता बढ़ाकर रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों में गति लाने में मदद करती है।
नई दिल्ली / भारत सरकार द्वारा पारित वेतन संहिता, 2019 देश के श्रम क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में से एक माना जाता है। इसका उद्देश्य सभी श्रमिकों संगठित हों या असंगठित को न्यूनतम वेतन, समान वेतन, और समय पर भुगतान सुनिश्चित कर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह संहिता भारतीय श्रम-रेजिम को सरल, आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
वेतन संहिता 2019, पहले के चार अलग-अलग कानूनों Minimum Wages Act, Payment of Wages Act, Payment of Bonus Act, Equal Remuneration Act को समेकित रूप से एक ही कानून में लाती है। इससे उद्योगों, श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच कानूनी भ्रम कम हुआ है और अनुपालन प्रक्रिया अधिक सरल हो गई है।
सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन की गारंटी
वेतन संहिता 2019 का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है कि यह देश के हर श्रमिक को न्यूनतम वेतन का अधिकार सुनिश्चित करता है, चाहे वे किसी भी सेक्टर में काम करते हों। पहले न्यूनतम वेतन केवल चुनिंदा अनुसूचित रोजगारों पर लागू था।
अब केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एक राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की सीमा तय की जाएगी, जिसके नीचे किसी भी राज्य को वेतन निर्धारित करने की अनुमति नहीं होगी। इससे राज्यों में मौजूद वेतन असमानता कम होगी और लाखों श्रमिकों की आय में वृद्धि होगी।
समय पर वेतन भुगतान और पारदर्शिता
संहिता वेतन का भुगतान निर्धारित समय सीमा में करना अनिवार्य बनाती है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को आर्थिक अनिश्चितता से बचाना और घरेलू स्थिरता प्रदान करना है।
डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता देने से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि मजदूरी चोरी, बिचौलियों द्वारा कटौती और अन्य अनियमितताओं पर भी रोक लगेगी।
महिलाओं का सशक्तिकरण
वेतन संहिता महिलाओं को कार्यस्थलों पर अधिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती है। प्रमुख प्रावधानों में—
महिलाओं को रात्रिकालीन कार्य की अनुमति, परंतु सुरक्षा सुनिश्चित करने की शर्त के साथ
समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान
सुरक्षित, स्वच्छ और सुरक्षित कार्यस्थान का दायित्व नियोक्ता पर
महिलाओं को कार्यबल में अधिक संख्या में शामिल करने के उद्देश्य से बनाए गए ये प्रावधान देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
रोज़गार वृद्धि और औद्योगिक विकास को बढ़ावा
सरल नियम, एकीकृत कानून और स्पष्ट परिभाषाओं से उद्योगों के लिए अनुपालन आसान होता है। परिणामस्वरूप—
निवेश बढ़ता है
नए उद्योग और स्टार्टअप के लिए माहौल बेहतर होता है
रोजगार के अवसर बढ़ते हैं
वेतन संहिता श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ उद्योगों को विकास के लिए अनुकूल माहौल भी प्रदान करती है।
असंगठित क्षेत्र के लिए लाभ
भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 45 करोड़ से अधिक है। वेतन संहिता का सीधा लाभ सबसे ज्यादा इसी वर्ग को मिलेगा।
डिलीवरी वर्कर, घरेलू कामगार, खेत मजदूर, छोटे कारख़ानों के कर्मी जैसे कई समूह पहली बार न्यूनतम वेतन और वेतन सुरक्षा के दायरे में आए हैं।
भविष्य के लिए महत्व
वेतन संहिता 2019, भारत के श्रम क्षेत्र को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार ढालता है—
अधिक व्यावसायिक सुरक्षा
महिला भागीदारी में वृद्धि
आर्थिक समानता में सुधार
वेतन भेदभाव में कमी
यह न केवल मजदूरों को सम्मानजनक जीवन प्रदान करने की दिशा में कदम है, बल्कि एक मजबूत, समतामूलक और विकासशील भारत के निर्माण की आधारशिला भी है।