जम्मू-कश्मीर में पहली चूना-पत्थर नीलामी शुरू | 24 नवंबर 2025

Mon 24-Nov-2025,12:00 PM IST +05:30

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जम्मू-कश्मीर में पहली चूना-पत्थर नीलामी शुरू | 24 नवंबर 2025
  • एमएमडीआर अधिनियम 2015 के बाद खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा

  • जम्मू-कश्मीर में पहली बार चूना-पत्थर खनिज ब्लॉक की नीलामी शुरू

  • 314 हेक्टेयर में फैले सात ब्लॉक से रोजगार और औद्योगिक विकास को मजबूती

Jammu and Kashmir / Jammu :

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में चूना-पत्थर खनिज की पहली नीलामी औपचारिक रूप से 24 नवंबर, 2025 को जम्मू में शुरू की जाएगी। इस कार्यक्रम का नेतृत्व केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी करेंगे तथा इसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे, जो केंद्र-राज्य की मजबूत साझेदारी एवं क्षेत्र के लिए इस पहल के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।

यह महत्वपूर्ण उपलब्धि 2015 में खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर अधिनियम) के तहत शुरू किए गए खनन सुधारों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। इन सुधारों के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश में होने वाला पहली खनन ब्लॉक नीलामी भी है, जो खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धात्मकता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है।

अनंतनाग, राजौरी और पुंछ जिलों में लगभग 314 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले कुल सात चूना-पत्थर ब्लॉक की पहचान की गई है। यूएनएफ़सी जी3 और जी4 अन्वेषण चरणों के अंतर्गत श्रेणीबद्ध ये भंडार सीमेंट निर्माण, निर्माण कार्यों और अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए आवश्यक उच्च-गुणवत्ता वाले चूना-पत्थर की पर्याप्त संभावनाएं रखते हैं।

यह नीलामी एमएमडीआर अधिनियम की धारा 11 के उपधारा (4) और (5) के अंतर्गत की जाएगी, जिससे ऐसे मामलों में केंद्र सरकार को प्रक्रिया को सुगम बनाने में सहायता मिलती है जहां राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को प्रक्रियात्मक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। यह दृष्टिकोण सहकारी संघवाद के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करता है, जो समयबद्ध कार्यान्वयन और सुधारों के निष्पादन को सुनिश्चित करता है।

खनन मंत्रालय पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-सक्षम और प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी प्रक्रिया को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें राष्ट्रीय पर्यावरणीय दिशानिर्देशों के अनुरूप सतत खनन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इस पहल से स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार सृजन, राजस्व वृद्धि, औद्योगिक विस्तार और नयी आर्थिक अवसरों के मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे जम्मू-कश्मीर के विकास की गति को बढ़ावा मिलेगा और विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण में योगदान होगा।