मोबाइल की जिद में खत्म हुई मासूम जिंदगी, नागपुर की घटना ने झकझोरा

Sun 23-Nov-2025,07:26 PM IST +05:30

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मोबाइल की जिद में खत्म हुई मासूम जिंदगी, नागपुर की घटना ने झकझोरा मोबाइल की जिद में खत्म हुई मासूम की जिंदगी
  • नागपुर में 13 वर्षीय छात्रा ने मोबाइल न मिलने पर फांसी लगाई, ऑनलाइन गेम्स की लत बताई गई मुख्य वजह।

  • परिवार के बाहर होने पर बच्ची ने घर में दुपट्टे से फांसी लगाई, पुलिस ने मामला दर्ज किया।

  • महाराष्ट्र में मोबाइल से जुड़े तनाव के कारण किशोरों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

Maharashtra / Nagpur :

नागपुर / महाराष्ट्र के नागपुर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ मोबाइल फोन न मिलने पर आठवीं कक्षा की 13 वर्षीय छात्रा ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। चंकापुर इलाके में हुई यह घटना न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को सदमे में डाल चुकी है। डिजिटल दौर में बच्चों में बढ़ती मोबाइल निर्भरता और ऑनलाइन गेम्स की लत इस घटना के बाद फिर चर्चा में है। पुलिस के अनुसार, यह घटना रविवार दोपहर की है, जब छात्रा घर में अकेली थी। उसकी मां और बहन किसी काम से बाहर गई थीं। इसी बीच लड़की ने अपने दुपट्टे से घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जब मां और बहन वापस लौटीं, तो बच्ची को फंदे से लटकता देखा। परिवार ने तुरंत पड़ोसियों को बुलाया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया है।
मोबाइल न मिलने पर बढ़ रही तनावग्रस्तता
परिजनों ने बताया कि लड़की कई दिनों से मोबाइल फोन खरीदने की जिद कर रही थी। उसे ऑनलाइन गेम्स खेलने की लत थी और वह अक्सर दोस्तों को गेम खेलते देख खुद के लिए भी नया स्मार्टफोन मांग रही थी। माता-पिता ने उसके अध्ययन में बाधा आने के डर से फोन खरीदने से इनकार किया। परिवार का कहना है कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि बच्ची इस हद तक तनाव में जा रही है। घरवालों के मुताबिक, बच्ची पढ़ाई में ठीक-ठाक थी, लेकिन हाल के कुछ महीनों में उसने ऑनलाइन गेम्स में काफी रुचि दिखाई। वे बताते हैं कि बच्ची को कई बार गेम्स से दूर रहने की सलाह भी दी गई थी, लेकिन वह मोबाइल लेने की जिद में लगातार चिड़चिड़ी हो रही थी। माता-पिता ने अन्य घरेलू परिस्थितियों की वजह से फिलहाल फोन न खरीद पाने की बात कही थी।
डिजिटल लत बच्चों में नई चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल और ऑनलाइन गेम्स की लत अब बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रही है। इस आयु वर्ग के बच्चे भावनात्मक रूप से संवेदनशील होते हैं और किसी भी चीज़ के लिए अत्यधिक लगाव तनाव, गुस्सा और अवसाद की स्थिति पैदा कर सकता है। इस घटना ने यह दिखाया है कि डिजिटल एडिक्शन अब बच्चों की मानसिक शांति, व्यवहार और निर्णयों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
महाराष्ट्र में ऐसे मामलों में वृद्धि
नागपुर का यह मामला अकेला नहीं है। राज्य में पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल न मिलने या गेम्स के प्रति आसक्ति के कारण बच्चों की आत्महत्याओं में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। इसी महीने छत्रपति संभाजीनगर में 16 वर्षीय लड़के ने मोबाइल न मिलने पर पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। पिछले वर्ष पुणे में 15 वर्षीय लड़के ने भी जन्मदिन पर मोबाइल न मिलने पर जान दे दी थी। ऐसे मामलों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मोबाइल बच्चों के लिए एक बुनियादी जरूरत बन गया है, या यह उनकी मानसिक सेहत को खतरे में डाल रहा है।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस का कहना है कि बच्चे की मौत प्राथमिक रूप से आत्महत्या का मामला लग रहा है, हालांकि परिवार से पूरी पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों के व्यवहार में अचानक आए बदलाव को हल्के में न लें और यदि बच्चे किसी वस्तु या आदत के लिए अत्यधिक जिद करें, तो समय रहते उनका काउंसलिंग करवाना जरूरी है।