विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में भारत की भागीदारी: डिजिटल भूमि सुधारों की वैश्विक प्रस्तुति

Sun 04-May-2025,03:03 PM IST +05:30

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विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में भारत की भागीदारी: डिजिटल भूमि सुधारों की वैश्विक प्रस्तुति विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में भारत की भागीदारी
  • भारत ने 1.6 लाख गांवों में 2.44 करोड़ संपत्ति कार्ड वितरित किए।

  • स्वामित्व योजना से ग्रामीण भूमि प्रशासन में क्रांति।

  • विश्व बैंक सम्मेलन में भारत का भू-स्थानिक नवाचार प्रस्तुत।

Delhi / New Delhi :

भारत 5 से 8 मई, 2025 तक वाशिंगटन डीसी स्थित विश्व बैंक मुख्यालय में आयोजित विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) के सचिव श्री विवेक भारद्वाज के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत की स्वामित्व योजना और ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर रहा है। यह सम्मेलन “जलवायु कार्रवाई के लिए भूमि का स्वामित्व और पहुंच सुरक्षित करना” विषय पर केंद्रित है, जिसमें भूमि शासन प्रणाली को आधुनिक और जलवायु-उत्तरदायी बनाने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श हो रहा है।

भारत की परिवर्तनकारी स्वामित्व योजना, ड्रोन और भू-स्थानिक तकनीकों के माध्यम से ग्रामीण संपत्तियों का कानूनी दस्तावेजीकरण करती है। अब तक 1.6 लाख गांवों में 24.4 मिलियन से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, 10 करोड़ से अधिक भूखंडों का नक्शांकन हुआ है और 1.162 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य की भूमि का विवरण दर्ज हुआ है।

सम्मेलन में MoPR सचिव श्री विवेक भारद्वाज "भूमि पट्टे और शासन सुधार में अच्छी प्रथाएं और चुनौतियां" पर पूर्ण सत्र को संबोधित करेंगे। इसमें स्वामित्व योजना के ज़रिये गांवों में संपत्ति अधिकारों को सशक्त बनाने, महिला सशक्तिकरण और विवाद समाधान की भूमिका तथा सतत विकास लक्ष्य (SDG 1.4.2) पर इसके प्रभाव पर चर्चा की जाएगी। MoPR के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर "जलवायु कार्रवाई और आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए भूमि फाउंडेशन" पर तकनीकी सत्र का नेतृत्व करेंगे, जिसमें भारत का ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म प्रदर्शित किया जाएगा।

ग्राम मानचित्र प्लेटफॉर्म ग्रामीण योजना, सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त स्थल चयन, आपदा न्यूनीकरण और विकास योजना के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्थानिक डेटा प्रदान करता है। इस पहल से कर प्रशासन, बुनियादी ढांचा विकास और शासन में पारदर्शिता आई है।

भारत की भागीदारी इस बात को रेखांकित करती है कि कैसे तकनीक-आधारित और जन-केंद्रित मॉडल, न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर भूमि सुधारों की दिशा तय कर सकते हैं। मार्च 2025 में भारत ने भूमि प्रशासन पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की थी, जिसमें 22 देशों ने हिस्सा लिया और भारत के भू-स्थानिक दृष्टिकोण में गहरी रुचि दिखाई।

भारत की यह पहल एक दक्षिण-दक्षिण सहयोग का उदाहरण है और इसे स्केलेबल, सशक्त और समावेशी भूमि समाधान के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। विश्व बैंक भूमि सम्मेलन 2025 भारत के लिए न केवल उपलब्धि है, बल्कि वैश्विक नीति निर्माण में सक्रिय योगदान का प्रतीक भी है।