पाकिस्तान फिर कांपा, रिक्टर स्केल पर 4.6 तीव्रता दर्ज
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |

12 मई को पाकिस्तान में 4.6 तीव्रता का भूकंप।
पाकिस्तान बार-बार भूकंपों की चपेट में।
2005 में भूकंप ने ली थी 80,000 से ज्यादा जानें।
पाकिस्तान एक बार फिर भूकंप के झटकों से कांप उठा। सोमवार, 12 मई को दोपहर 1:26 बजे रिक्टर स्केल पर 4.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। यह झटका पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में महसूस किया गया, जिसका केंद्र 29.12° उत्तरी अक्षांश और 67.26° पूर्व देशांतर पर स्थित था। यह भूकंप 10 मई को इसी स्थान पर आए एक अन्य झटके के दो दिन बाद आया, जिससे चिंता और आशंका का माहौल और गहरा गया है।
पाकिस्तान भौगोलिक दृष्टि से एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, जहां यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं। इस टकराव के कारण पाकिस्तान में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। ये झटके न केवल बार-बार आते हैं, बल्कि कई बार बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान भी कर जाते हैं। इसी कड़ी में 5 मई को भी पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उस दिन दोपहर 4:00 बजे के करीब आए भूकंप की तीव्रता 4.2 मापी गई थी। इसका केंद्र 36.60°N और 72.89°E पर स्थित था, और गहराई 10 किलोमीटर रही। लोग भयभीत होकर घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए।
इतिहास की बात करें तो 8 अक्टूबर 2005 को पाकिस्तान में एक अत्यंत विनाशकारी भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 7.6 थी। इसका केंद्र पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, मुजफ्फराबाद में था। यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसके झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन के झिंजियांग प्रांत तक महसूस किए गए थे। इस आपदा में 80,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी और लाखों लोग बेघर हो गए थे। यह 21वीं सदी की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक मानी जाती है।
आज की तारीख में पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में बार-बार आ रहे भूकंप यह स्पष्ट संकेत हैं कि देश की भूकंपीय निगरानी प्रणाली और आपदा प्रबंधन व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार आने वाले मध्यम तीव्रता के भूकंप एक बड़े झटके के पूर्व संकेत हो सकते हैं। ऐसे में समय रहते सतर्कता और तैयारी बेहद जरूरी है। आम नागरिकों को भी भूकंप से बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए और सुरक्षित स्थानों की पहचान कर ली जानी चाहिए ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में जनहानि को कम किया जा सके।