अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी फहराएंगे पवित्र भगवा ध्वज, दिव्य कार्यक्रम की तैयारियां पूरी

Mon 24-Nov-2025,02:36 PM IST +05:30

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अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी फहराएंगे पवित्र भगवा ध्वज, दिव्य कार्यक्रम की तैयारियां पूरी
  • प्रधानमंत्री औपचारिक तौर पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराएंगे ध्वज में चमकता सूरज, कोविदारा का पेड़ और 'ॐ' अंकित है, जो भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता तथा राम राज्य के आदर्शों को दर्शाता है

  • ध्वजारोहण श्री राम और मां सीता की विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त के साथ होगा प्रधानमंत्री सप्तमंदिर भी जाएंगे, जहां महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के मंदिर हैं

Uttar Pradesh / Ayodhya :

अयोध्या/ 25 नवंबर का दिन अयोध्या और पूरे भारत के लिए अत्यंत ऐतिहासिक और भावनात्मक होने जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नव-निर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर पहुंचकर मंदिर के शिखर पर पवित्र भगवा ध्वज फहराएंगे। यह अवसर न केवल मंदिर निर्माण कार्य के पूर्ण होने का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय भी खोलेगा।

प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम सुबह 10 बजे से आरंभ होगा, जब वे सप्तमंदिर परिसर में दर्शन के लिए पहुंचेंगे। इन मंदिरों में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं। यह स्थान रामायणकालीन दिव्य व्यक्तित्वों और उनके योगदान को दर्शाने वाला अनूठा तीर्थ क्षेत्र है।

इसके बाद प्रधानमंत्री शेषावतार मंदिर जाएंगे और फिर लगभग 11 बजे माता अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन करेंगे। इसके उपरांत वे राम दरबार गर्भगृह और फिर राम लला गर्भगृह में पूजा-अर्चना करेंगे। यह सभी कार्यक्रम मंदिर की धार्मिक मर्यादाओं, वैदिक विधियों और पावन परंपराओं के अनुसार सम्पन्न होंगे।

दोपहर लगभग 12 बजे प्रधानमंत्री मोदी श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ऐतिहासिक भगवा ध्वज फहराएंगे। यह क्षण मंदिर निर्माण पूर्णता, सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आस्था के असंख्य वर्षों के इंतजार का समापन होगा। यह ध्वज 10 फीट ऊंचा और 20 फीट लंबा तिकोना भगवा ध्वज है, जिसमें चमकते सूर्य की प्रतीकात्मक आकृति बनी है। सूर्य भगवान श्री राम की तेजस्विता, पराक्रम और मर्यादा पुरुषोत्तम स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।

ध्वज पर ‘ॐ’ का अंकन और कोविदारा पेड़ का चित्र भी है, जिसने रामकथा में एक पवित्र, आश्रयकारी वृक्ष के रूप में विशेष महत्व रखा है। यह ध्वज रामराज्य के मूल्यों—न्याय, करुणा, मर्यादा, धर्म और एकता—का प्रतीक होगा।

यह पूरा कार्यक्रम विवाह पंचमी के शुभ दिन पर आयोजित हो रहा है। यह वही तिथि है जिस दिन भगवान श्री राम और माता सीता का दिव्य विवाह सम्पन्न हुआ था। साथ ही यह दिन गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस का भी प्रतीक है, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा हेतु अपने प्राण न्योछावर किए। 17वीं सदी में गुरुजी ने अयोध्या में 48 घंटे लगातार ध्यान भी किया था, जिससे इस दिन का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

मंदिर की स्थापत्य शैली भी अद्भुत है। मुख्य मंदिर का शिखर पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित है, जबकि लगभग 800-मीटर विस्तृत परकोटा दक्षिण भारतीय शैली से प्रेरित है। यह स्थापत्य विविधता भारत की सांस्कृतिक एकता और बहु-आयामी विरासत का सूक्ष्म संदेश देती है।

मंदिर की बाहरी दीवारों पर 87 प्रसंग वाल्मीकि रामायण से पत्थरों पर बारीकी से उकेरे गए हैं। मंदिर के घेरे की दीवारों पर भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 प्रसंग कांस्य पट्टों पर दर्शाए गए हैं, जिससे आगंतुकों को भगवान श्री राम के दिव्य जीवन, आदर्शों और भारतीय सभ्यता की समृद्धता की गहन समझ मिलेगी।

प्रधानमंत्री कार्यक्रम के उपरांत एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। यह संबोधन राम मंदिर निर्माण की यात्रा, भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान और आधुनिक भारत के संकल्पों के विषय में महत्वपूर्ण संदेश दे सकता है।

संपूर्ण आयोजन भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण, सांस्कृतिक गर्व और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक बनकर इतिहास में दर्ज होगा। अयोध्या में होने वाला यह समारोह जन-आस्था, भारतीय धर्मपरंपरा और सभ्यतागत मूल्यों का अनूठा उत्सव है जिसकी गूँज आने वाली पीढ़ियों तक सुनाई देगी।