काशी में तमिल डेलीगेट्स का भव्य स्वागत, संगमम् 4.0 ने उत्तर–दक्षिण सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा दी

Mon 08-Dec-2025,03:47 PM IST +05:30

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काशी में तमिल डेलीगेट्स का भव्य स्वागत, संगमम् 4.0 ने उत्तर–दक्षिण सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊर्जा दी
  • काशी रेलवे स्टेशन पर तमिलनाडु से आए कृषि विशेषज्ञों के दल का डमरू वादन और पुष्प वर्षा के साथ भव्य पारंपरिक स्वागत किया गया।

  • काशी तमिल संगमम् 4.0 ने “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संदेश को सशक्त बनाते हुए उत्तर व दक्षिण भारत के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया।

Uttar Pradesh / Varanasi :

Kashi/ काशी तमिल संगमम् 4.0 में सांस्कृतिक एकता और भावनात्मक समन्वय का अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब तमिलनाडु से चौथा दल विशेष ट्रेन से बनारस रेलवे स्टेशन पहुँचा। इस दल में बड़ी संख्या में कृषि विशेषज्ञ शामिल थे, जिनका उद्देश्य संगमम् में सहभाग के साथ-साथ काशी की अध्यात्म, परंपरा और ज्ञान-परंपरा को गहराई से समझना था।

स्टेशन पर उतरते ही अतिथियों का पारंपरिक रूप से भव्य स्वागत किया गया। डमरू वादन, फूलों की वर्षा और “हर-हर महादेव” व “वणक्कम काशी” के स्वरूप में किया गया स्वागत पूरा वातावरण शिवमय कर गया। तमिलनाडु के आगंतुकों ने इस सम्मान को अपने जीवन के अविस्मरणीय क्षणों में से एक बताया और कई सदस्यों ने कहा कि काशी में मिल रही गर्मजोशी उन्हें आध्यात्मिक रूप से स्पंदित कर रही है।

रेलवे स्टेशन पर कुछ प्रतिनिधि काशी की धरती पर पैर रखते ही दंडवत लेट गए और इसे सौभाग्य व आध्यात्मिक प्रसाद की तरह स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में पहुँचकर उन्हें अपार शांति और ऊर्जा की अनुभूति हो रही है। दल के सदस्य पहले श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन करेंगे, उसके बाद निर्धारित अकादमिक और संवादात्मक सत्रों में शामिल होंगे, जहाँ कृषि, संस्कृति और सामाजिक समन्वय जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा।

सांस्कृतिक स्वागत के बीच लोगों ने यह स्पष्ट रूप से महसूस किया कि काशी व तमिलनाडु के बीच संबंध केवल परंपराओं तक सीमित नहीं, बल्कि भाषा, अध्यात्म, कला और जन-संस्कृति के माध्यम से एक अटूट बंधन की तरह जुड़ते हैं। यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के दृष्टिकोण को मजबूत करता है और राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों को समान भावनात्मक धागे में पिरोने का कार्य करता है। काशी तमिल संगमम् 4.0 उत्तर और दक्षिण भारत के ऐतिहासिक संबंधों को नया जीवन दे रहा है और साझा सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।