वंदे मातरम पर संसद में 10 घंटे की बहस, बंगाल चुनाव से जुड़े संकेत तेज

Mon 08-Dec-2025,02:44 PM IST +05:30

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वंदे मातरम पर संसद में 10 घंटे की बहस, बंगाल चुनाव से जुड़े संकेत तेज
  • संसद में वंदे मातरम पर 10 घंटे की बहस, छंद हटाए जाने, धार्मिक विरोध और राजनीतिक आरोपों पर तीखी चर्चा जारी।

  • पीएम मोदी ने कांग्रेस पर 1937 में वंदे मातरम के प्रमुख छंद हटाने और विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

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    बंगाल चुनाव 2026 से पहले वंदे मातरम बहस को विपक्ष चुनावी मुद्दा मान रहा है, जबकि सरकार इसे सांस्कृतिक सम्मान बता रही है।

Delhi / Delhi :

दिल्ली/ देश की राजनीति में एक बार फिर वंदे मातरम केंद्र में आ गया है। बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 की गर्माहट के बीच केंद्र सरकार ने संसद में राष्ट्रीय गीत को लेकर महाबहस शुरू कर दी है। सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम पर 10 घंटे की मैराथन चर्चा चल रही है, जो समाचार लिखे जाने तक जारी थी। मंगलवार को यह बहस राज्यसभा में होगी।

चर्चा का प्रारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में वंदे मातरम की ऐतिहासिक यात्रा, स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका और इसके छंदों में किए गए बदलावों का मुद्दा उठाया। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि 1937 में कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक दबाव में वंदे मातरम के प्रमुख छंदों को हटा दिया, जिससे विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा मिला। उन्होंने दावा किया कि नेहरू के नेतृत्व में ऐसे निर्णय लिए गए जिनसे आज तक विवादों की जमीन तैयार हुई।

चर्चा के दौरान यह भी मुद्दा उठा कि वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित किए जाने से पहले इसकी मूल रचना में से दुर्गा, लक्ष्मी, मंदाकिनी, मंदिर, प्रतिमा जैसे शब्द क्यों हटाए गए। कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि भारत माता की आराधना वाले शब्दों को हटाने के पीछे कौन-सा राजनीतिक या धार्मिक दबाव था।

सदन में यह भी प्रमुख सवाल रहा कि मुस्लिम संगठनों द्वारा 1923 से वंदे मातरम का विरोध क्यों किया जा रहा है? ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए कुछ सदस्यों ने कहा कि विरोध का कारण गीत के धार्मिक संदर्भ माने जाते हैं, जबकि कुछ ने इसे औपनिवेशिक काल में राजनीतिक ध्रुवीकरण की रणनीति बताया।

Bengal Elections 2026 को ध्यान में रखते हुए, TMC और BJP के बीच इस मुद्दे पर तीख़ी राजनीतिक टक्कर भी देखने को मिली। भाजपा ने तर्क दिया कि बंगाल की राजनीति में वंदे मातरम सदैव सम्मान का विषय रहा है और अब इसे चुनाव में सांस्कृतिक मुद्दे के रूप में बड़ा स्थान मिलेगा। वहीं TMC सांसदों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह चर्चा चुनावी एजेंडा सेट करने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है।

लोकसभा में बहस के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं ने वंदे मातरम को केवल गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा बताया। विपक्ष ने सरकार से पूछा कि क्या यह बहस वास्तव में राष्ट्रीय एकता के लिए है या राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए।

संसद में विभिन्न दलों द्वारा ऐतिहासिक संदर्भ, धार्मिक संवेदनशीलता, सांस्कृतिक विरासत और संवैधानिक स्थिति को लेकर तर्क-वितर्क जारी हैं। बहस इस बात पर भी केंद्रित है कि क्या वंदे मातरम के मूल रूप को पुनः स्थापित किया जाना चाहिए या वर्तमान स्वरूप को ही बनाए रखा जाए। समाचार लिखे जाने तक लोकसभा में चर्चा जारी थी और यह उम्मीद है कि राज्यसभा में होने वाली बहस के बाद सरकार इस पर किसी ठोस प्रस्ताव या स्पष्टीकरण के साथ आगे आएगी।